धनबाद(DHANBAD): मंगलवार को झारखंड में 14 आईएएस अधिकारियों का तबादला हुआ. बुधवार को 7 आईपीएस अधिकारियों को स्थानांतरित किया गया. 7 आईपीएस अधिकारियों में तीन धनबाद के थे. इनके तबादले के बाद धनबाद में 4 आईपीएस के पद रिक्त हो गए है. धनबाद में निगरानी ब्यूरो का काम तो अभी प्रभार में चल रहा है. डीएसपी काम देख रहे है. धनबाद जैसे संवेदनशील जिले में 4 आईपीएस अधिकारियों का पद एकसाथ खाली होने के बाद पोस्टिंग का इंतजार किया जा रहा है. धनबाद रेल एसपी प्रियदर्शी आलोक को बोकारो का एसपी बनाया गया है. ग्रामीण एसपी रिश्मा रमेशन को पलामू का एसपी बनाकर भेजा गया है. इन दोनों आईपीएस के तबादले से 4 पद रिक्त हो गए है. .
धनबाद के दो आईपीएस थे चार के प्रभार में
प्रियदर्शी आलोक गोविंदपुर के कमांडेंट के साथ-साथ रेल एसपी के प्रभार में थे. वही ग्रामीण एसपी के साथ-साथ रिश्मा रमेशन सिटी एसपी के प्रभार में भी थी. निगरानी ब्यूरो के एसपी का पद पहले से ही खाली है. इसके अलावा निरसा के एसडीपीओ प्रीतम सिंह खरवार को दुमका का एसपी बनाया गया है. धनबाद अपराध से लेकर अन्य मामलों के लिए संवेदनशील माना जाता है. यहां आर्थिक अपराध भी कम नहीं होते. गैंगस्टर भी पुलिस को ललकार कर गैंग चलाते है. ऐसे में अधिकारियों की कमी से काम प्रभावित होता रहा है. देखना होगा कि धनबाद के खाली पदों पर कब नियुक्ति होती है. वैसे, धनबाद के उपायुक्त का भी मंगलवार को तबादला कर दिया गया. उनकी जगह पर नए उपायुक्त गुरुवार को कार्यभार ग्रहण कर लिया है . बरुन रंजन धनबाद के नए डीसी बने हैं . वह 2014 बैच के आईएएस अधिकारी है. . अभी वह पाकुड़ के डीसी के पद पर थे. साहिबगंज में भी डीसी रह चुके है.
24 अक्टूबर '1956 को धनबाद बना था जिला
24 अक्टूबर '1956 को बंगाल के मानभूम से काटकर धनबाद को जिला बनाया गया था. हालांकि ;1991 में इसके भी दो भाग हुए और बोकारो जिला धनबाद से अलग हो गया. उस वक्त तेज तर्रार अधिकारी अफजल अमानुल्ला धनबाद के डीसी थे. अपने इस लम्बे जीवन में धनबाद पाया कम ,उसकी हकमारी अधिक हुई ,हालांकि शहर और ज़िले का विकास हुआ जरूर है लेकिन गति की कमी पहले भी थी और तो आज भी है. धनबाद की आंचल में आई आई टी ,आई एस एम ,सिफर ,डीजीएमए स ,सीएमपीएफ के मुख्यालय हैं ,वही बीसीसीएल ,इ सील सहित सेल की खदाने .साक्षरता दर अभी 74 प्रतिशत है. 2017 में धनबाद को विश्वविधालय भी मिला. धनबाद जिसका हकदार था ,उसकी सूची तो बहुत लम्बी है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
