धनबाद(DHANBAD): चार दिनों की लगातार बारिश का साइड इफ़ेक्ट झेलने वाला धनबाद सहित पूरे झारखण्ड में डेंगू बढ़ने की आशंका ब्यक्त की जा रही है. डेंगू का प्रकोप तो लगातार चार दिनों की बारिश के पहले से ही शुरू हो गया था लेकिन अब इसमें और अधिक इजाफा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. डेंगू रोकने के लिए निगम पर भी दबाव बढ़ेगा, सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की चुनौती होगी. मरीजों के इलाज के लिए भी व्यवस्था को दुरुस्त करना चुनौती होगी. झारखंड में गुरुवार से बारिश थम गई है. मौसम विभाग के अनुसार कहीं हल्की वर्षा हो सकती है. वैसे, गुरुवार से आसमान साफ होना शुरू हो गया है. झारखंड में पिछले 4 दिनों में 108 मिलीमीटर वर्षा हुई है. यह अलग बात है कि 108 मिली मीटर वर्षा में ही कई शहरों की सूरत बिगड़ गई. सरकारी व्यवस्था की पोल खुल गई. लेकिन इसके साथ ही झारखंड पर डेंगू का और खतरा मंडराने लगा है.
झारखंड में डेढ़ हजार से अधिक डेंगू के मरीज
एक आंकड़े के मुताबिक फिलहाल पूरे झारखंड में डेढ़ हजार से अधिक डेंगू के मरीज है. इनमें पूर्वी सिंहभूम के मरीजों की संख्या अधिक है. चार दिनों तक लगातार बारिश होने के बाद सड़क, गड्ढों में पानी भर गए है. यह पानी धीरे-धीरे सुखना शुरू होगा. वैसे, जब तक पानी जमा है, डेंगू का खतरा भी अधिक होगा. बारिश शुरू होने के पहले से ही डेंगू के मरीज बढ़ रहे थे. सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों के बेड भरने लगे थे. वैसे, अध्ययनों से पता चलता है है कि शुष्क परिस्थितियों की अपेक्षा गीली परिस्थितियों में डेंगू के मच्छर अपना विस्तार करते हैं, जिससे डेंगू का खतरा बढ़ जाता है. जिन इलाकों में पानी संकट होता है ,वहां लोग अपने घरों के पास असुरक्षित जलाशयों में पानी जमा करते हैं और यही पानी मच्छरों को आकर्षित करता है.
1990 के दशक से भारत में डेंगू की बीमारी अधिक हुई
आंकड़े बताते हैं कि 1990 के दशक से भारत में डेंगू की महामारी अधिक हो गई है. खासकर शहरी क्षेत्र में यह फैल गई है. भारत में डेंगू की बीमारी पहली बार 1780 में मद्रास (अब चेन्नई) में रिपोर्ट की गई थी. हालांकि इसके पहले 1963 में इसका प्रकोप कोलकाता में हुआ था. इसके बाद से यह भारत के विभिन्न हिस्सों में फैलने लगी. डेंगू पहले शहरी इलाकों में ही था लेकिन अब ग्रामीण इलाके भी इसे प्रभावित है. पिछले 40 -50 सालों में विश्व स्तर पर डेंगू के मामलों की संख्या 30 गुना बढ़ गई है. धनबाद कोयलांचल की बात की जाए तो कोयला खदानों के कारण भी यहां बीमारी का खतरा अधिक होता है. वैसे धनबाद जिला प्रशासन सक्रिय है और मच्छर मारने के लिए दवा का छिड़काव किया जा रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो