गुमला(GUMLA): गुमला जिला जो एक आदिवासी बाहुल जिला है, जिसकी पहचान उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के रूप में होती आई है. उसमें औद्योगिक विकास देखने के लिए कई देशों की टीम पहुंची है. गुमला मुख्यालय से कुछ दूरी पर कंचन राइस मिल में वॉल्वरिया, लैटिन अमेरिका, जापान और ओर्गिस जैसे देशों से राइस मिल की टेक्नोलॉजी देखने के लिए विदेशी पहुंचे.
गुमला पहुंचे विदेशी मेहमान
गुमला जिला ऐसे तो अत्यंत पिछड़े जिले एवं आदिवासी बाहुल क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां उद्योग से दूर-दूर का कोई नाता नहीं जान पड़ता है. लेकिन आज गुमला जिला विकास की राह पर है यहां पर कई नए उद्योगपति आ रहे हैं जो दुनिया भर की नई टेक्नोलॉजी की मशीन से उत्पादन कर रहे हैं. उसी क्रम में से एक कंचन राइस मिल में बहुत ही आधुनिक टेक्नोलॉजी के मशीन लगे हैं. जिसे देखने के लिए वुल्वरिया, कोलंबिया और ओर्टएगइस,जापान,लैटिन अमेरिका जैसे कई देश से विदेशी मेहमान पहुंचे हुए थे. उन्होंने यहां लगे हुए मशीनों के टेक्नोलॉजी को देखा उसे. उससे उत्पादन हो रहे हाइजीनिक चावल को भी सराहा. एजीआई मिलटेक इंडिया मशनरीज कंपनी के सुनील कुमार ने बताया कि यहां विदेशी मेहमानों का आने का उद्देश्य नई टेक्नोलॉजी की मशीन और उसके उत्पादन क्वालिटी को देखना.
विदेशी टीम ने शेयर किया अपना अनुभव
गुमला में राइस मिल का विकसित करने के बाद विदेशी मेहमान जैसन और उनकी टीम ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि यहां जो राइस मिल लगाया गया है उसकी टेक्नोलॉजी उनके क्षेत्र से बिल्कुल डिफरेंट है. जहां टोटली ऑटोमेटिक मशीन लगाई गई हैं और उनसे उत्पादन हो रहे हैं चावल की क्वालिटी काफी हाइजीनिक है इस टेक्नोलॉजी को देखने के लिए वे लोग अपने-अपने देश से आए हुए हैं.
भविष्य में गुमला से भी विदेश में हो सकेगा चावल निर्यात
गुमला में राइस मिल का विदेशी मेहमानों के द्वारा विकसित करना क्षेत्र के औद्योगिक विकास की ओर इशारा कर रहा है, यहां लगे अत्यधिक टेक्नोलॉजी को वे लोग देख रहे हैं साथ ही साथ यहां के चावल का सैंपल भी लेकर जा रहे हैं. जिससे भविष्य में उम्मीद की जा सकती है कि गुमला से भी विदेश में चावल निर्यात हो सकेगा. ऐसे में सरकार और प्रशासन को चाहिए कि यहां के उद्योग को बढ़ावा दिया जाए ताकि यहां नए-नए उद्योगपति बने और एक मुकाम हासिल करें और इस क्षेत्र की पहचान जो पिछड़े एवं नक्सल प्रभावित के रूप में थी उससे हटकर एक विकसित क्षेत्र के रूप में हो.
रिपोर्ट: सुशील कुमार सिंह