धनबाद(DHANBAD) | झारखंड में पहली बार किसी विदेशी को उसके घर वापस भेजा जा रहा है. इसका श्रेय धनबाद को गया है. हालांकि किशोरी अभी धनबाद में ही है लेकिन प्रक्रिया तेजी से जारी है. वह दिल्ली होते हुए अब जल्द ही नेपाल पहुंच जाएगी. नेपाल की यह लड़की भाग्यशाली रही, जो उदाहरण बनी. हालांकि बांग्लादेश के रकीब का मामला भी लाइन में है. देखना है कि उसे कब अपने घर जाने का मौका मिलता है. चाइल्ड वेलफेयर कमिटी और धनबाद जिला प्रशासन के प्रयास से नेपाल से भटक कर धनबाद आई एक किशोरी को उसके घर भेजना की व्यवस्था की गई है. दूतावास, विदेश मंत्रालय और गृह विभाग से संपर्क कर धनबाद चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने उसे नेपाल के इनरवा भेजने की व्यवस्था कराइ है. दूतावास और विदेश मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद शनिवार को किन इंडिया की 2 सदस्य टीम धनबाद पहुंची. टीम अभी धनबाद में ही है.
आज किशोरी को दिल्ली ले जाया जा सकता है
संभव है रविवार को यानी आज टीम लेकर दिल्ली रवाना हो जाये. सितंबर महीने में पुलिस ने किशोरी को प्रस्तुत किया था. काली बस्ती निवासी किरण देवी ने पुलिस को दिया था. चार-पांच महीने से किरण के पास ही वह थी. पहले वह कहती थी कि वह बिहार की रहने वाली है. फिर उसे दरभंगा भेज दिया गया. दरभंगा, जयनगर, मधुबनी में उसके माता-पिता का पता लगाया गया. मधुबनी प्रशासन ने कहा कि वहां उसके माता-पिता के घर का सत्यापन नहीं हुआ है. उसे वापस धनबाद भेज दिया गया. जब उसका और सत्यापन कराया गया तो पता चला कि वह नेपाल की रहने वाली है. वहां उसके माता-पिता का भी पता चल गया. इसी प्रयास में शनिवार किन इंडिया के नवीन जोशी और लक्ष्मी विष्ट धनबाद पहुंचे और रविवार को हो सकता है कि उसे दिल्ली लेकर जाये. अभी पता चला है कि धनबाद पहुंची किशोरी कोयला चोरों के चंगुल में फंस गई थी. चोरी का कोयला पकाने और बेचने के काम में लगा दिया गया था.
एक युवक की थी उसपर बुरी नजर
एक युवक की भी उस पर बुरी नजर थी. धनबाद से भागने की किशोरी कोशिश कर रही थी तब पुलिस के हवाले किया गया था. किरण का कहना है कि वह झूठा आरोप लगा रही है. कई महीनों तक सराय ढेला तपोवन कॉलोनी स्थित बालिका गृह में रखकर किशोरी की काउंसलिंग की गई. जानकारी के अनुसार विदेश से झारखंड तो लोग पहले आए हैं लेकिन पहली बार कोई झारखंड से विदेश स्थित उसके घर भेजने का इंतजाम किया गया है. जानकारी के अनुसार धनबाद के उपायुक्त ने भी किशोरी के मामले में विशेष रूचि ली और उन्होंने गृह विभाग के अपर सचिव को पत्र लिखा. फिर वहां से यह पत्र दिल्ली गया, उसके बाद प्रक्रिया शुरू हुई, जो आज इस मुकाम तक पहुंची है. बांग्लादेश का रकीब भी अभी सहयोग विलेज में रह रहा है. देखना है उसे कब मुक्ति मिलती है और वह अपने घर पहुंच पाता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो