गुमला(GUMLA):गुमला स्थित तेलगांव गांव के किसान काफी लंबे समय से लाह की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन प्रोक्योरमेंट के अभाव में कच्चे लाह को कम दाम में बेचा करते थे. किसानों को इसका उचित दाम नहीं मिल पाता था. अब तेलगांव गांव के किसान लाह को चवरी बनाकर बेच रहे हैं और दोगुना लाभ कमा रहे हैं.
किसानों को लाह की सही कीमत नहीं मिल पाती थी
वहीं जिला सहकारिता पदाधिकारी आशा टोप्पो ने बताया कि जिला के विभिन्न इलाकों में लाह का उत्पादन किया जाता है, लेकिन किसानों को उसकी सही कीमत नहीं मिल पाती थी. जिसको लेकर उन्होंने पहल की है, और ग्रामीण क्षेत्रो में लाह उत्पादन प्रोसेसिंग यूनिट लगाई है. इस बारे में आशा टोप्पो ने बताया कि उन्होंने रू -अर्बन मिशन के साथ मिलकर यहां सहकारिता से जुड़े किसानों को कुछ मशीन और ट्रेनिंग दिलाई. इसके बाद यहां के किसान अपने उत्पादित लाह को एक आसान प्रक्रिया में प्रोक्योरमेंट करके चवरी बनाकर बेच रहे हैं. इससे उन्हें दोगुना से ज्यादा लाभ मिल रहा है. जहां पहले कच्चे लाह की कीमत दो सौ ढाई सौ रुपए होती थी. प्रोक्योरमेंट के बाद चवरी की कीमत हजार 1200 प्रति केजी हो जाती है.
बहुत कम खर्चे में कच्चे लाह को जब चवरी के रूप में बदला जाता है
वहीं तेलगांव लैंप्स के सचिव और अन्य किसानों ने बताया कि यह प्रक्रिया बहुत ही आसान है. और बहुत कम खर्चे में कच्चे लाह को जब चवरी के रूप में बदला जाता है, तो उसकी कीमत काफी ज्यादा बढ़ जाती है. जब से किसान इस प्रक्रिया से जुड़े तब से उन्हें काफी ज्यादा लाभ मिल रहा है. लाह उत्पादन के लिए रोजगार का एक अच्छा साधन बन चुका है. इससे भी आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिल रही है,ग्रामीण बताते है कि यह कार्य काफी आसान है. जिसे एक सामान्य ट्रेनिंग लेकर आसानी से प्रो सेसिंग का कार्य किया जा सकता है.वहीं लाह प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़कर जिन महिलाओ और युवतियों को लाभ मिल रहा है.
किसानों को मिलने वाले केसीसी जैसे लाभ लाह किसानों को मिल पाएगा
वहीं इस पर गुमला उप विकास आयुक्त ने बताया कि लाह उत्पादन कृषि के अंतर्गत आता है. इसलिए किसानों को मिलने वाले केसीसी जैसे लाभ लाह किसानों को मिल पाएगा. प्रशासन के लिए किसानों को रोजगार से जोड़ने एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य है. ऐसे में उनकी ओर से काफी अध्ययन के बाद लाह उत्पादन की शुरुआत करने का पहल किया जा रहा है. जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलता नजर आ रहा है.
पलायन करने के लिए मजबूर किसानों को गांव में मिलेगा रोजगार
लाह के प्रोक्योरमेंट से जो किसानों को दुगुना लाभ मिल रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान लाह उत्पादन में कितना लाभ कमा सकते हैं भविष्य में किसान लाह के अलग-अलग तरह के सामान चूड़ियां वगैरह भी बना सकते हैं. इसके लिए इन लोगों को ट्रेनिंग की आवश्यकता होगी. गुमला जिले के और भी कई स्थानों पर लाह की बहुत ज्यादा खेती होती है. इसी तरह से उन किसानों को ट्रेनिंग और मशीन दी जाए तो आने वाले भविष्य में लाह से बनने वाले सामानों में जिला भी काफी आगे हो जाएगा और यहां के किसान जो ज्यादातर पलायन करने के लिए मजबूर हो जाते हैं उन्हें रोजगार का साधन मिलेगा.
रिपोर्ट-सुशील कुमार