देवघर(DEOGHAR): अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आज पूरा देश श्रीराम की भक्ति में डूबा हुआ है. भगवान राम और भोलेनाथ दोनों एक दूसरे के इष्ट है,यानी राम ही शिव और शिव ही राम है.जिस प्रकार राम ने लंकापति रावण के अहंकार को समाप्त किया था, उसी प्रकार मनुष्य के अंदर के अहंकार को समाप्त करने के लिए बाबाधाम में भगवान श्रीराम के नाम से बेलपत्र चढ़ाया जाता है,इससे राम और शिव दोनों अपने अपने ईष्ट से मिलते हैं, और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं.
पैदल कांवर लेकर भगवान राम आये थे बाबाधाम, भोलेनाथ को अर्पित किया था गंगाजल
जानकारों के अनुसार जब रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए राम लंका जा रहे थे, तब वे भोलेनाथ पर जलार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया था.भगवान राम सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा का जल लेकर पैदल ही कांवर यात्रा कर बाबाधाम पहुंचे थे.लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए उन्होंने बाबा बैद्यनाथ का जलार्पण कर उनसे आशीर्वाद लिया था.राम को ज्ञात था कि पृथ्वी पर स्थापित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से मनोकामना लिंग देवघर में है, जहां की गई कामना की पूर्ती अवश्य होती है,इसीलिए श्रीराम ने बाबा बैद्यनाथ का जलार्पण किया था.
शिव का राम से अदभुत मिलन इस शैव स्थान को अपने आप में खास बनाता है
आपको बताये कि शिव का राम से अदभुत मिलन इस शैव स्थान को अपने आप मे खास बनाता है.देवघर के बाबा मंदिर में जिस जगह पर सती का हृदय गिरा था, वहीं ज्योर्तिलिंग स्थापित है.जिसकी स्थापना श्री हरि यानी विष्णु ने की थी.भोलेनाथ यानी हर का हरि से मिलन फिर राम से मिलन ही इस शिवालय को अलग बनाता है, जो किसी दूसरे ज्योर्तिलिंग में नहीं सुनने को मिलता है.हरि और हर का मिलन यहां होलिका दहन के बाद होता है, लेकिन राम से शिव के नाम का मिलन प्रतिदिन होता है,जो भी भक्त या पुरोहित बेलपत्र पर राम लिखकर भोलेनाथ पर अर्पित करते है, उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.आज अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु का बेलपत्र चढ़ाने पहुंचे, मनोकामना मांगी.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा