गुमला(GUMLA):गुमला के ग्रामीण क्षेत्रों में आज तक विकास योजनाओं का सही रूप से नहीं पहुंचाना निश्चित रूप से लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. इलाके में ना तो सही रूप से सड़क की व्यवस्था हो पाई है ना ही बिजली और स्वास्थ्य की व्यवस्था हो पाई है. जिसके कारण आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.वही नई सरकार के गठन के बाद समाज के बुद्धिजीवों का मानना है कि अब शायद इलाके के विकास की गति को तेज करके हेमंत सोरेन उन इलाकों में भी विकास की योजनाओं को पहुंचा सकेंगे जिन इलाकों में अब तक विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई है.
इलाके में विकास की योजनाएं उस तरह से नहीं पहुंच पाई है
गुमला झारखंड का एक ऐसा जिला है जहां की आधी से अधिक आबादी पूरी तरह से आदिवासी बहुल इलाका है जहां रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय मानी जाती है.बावजूद इसके झारखंड निर्माण के 24 साल का अधिक समय भी जाने के बावजूद भी इस इलाके में विकास की योजनाएं उस तरह से नहीं पहुंच पाई है जिस तरह से लोगों ने उम्मीद की थी.आजादी के लंबे समय बाद भी इन इलाकों में विकास का सही रूप से नहीं पहुंच पाना निश्चित रूप से नौकरशाह के साथ ही साथ राजनेताओं की लापरवाही को भी दर्शाता है.
आज भी सड़क तक नहीं बन पाई है
गुमला जिला के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर आज भी लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और स्वास्थ्य की सुविधा हो शिक्षा की सुविधा हो या फिर सड़क बिजली पानी की सुविधाओं को काफी दयनीय बनी हुई है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है खास कर गुमला जिला के बिशनपुर घाघरा डुमरी चैनपुर कामरा अवश्य और सिसई भावनाओं के इलाके में ऐसी स्थिति देखने को मिलती है जहां पर आज भी लोगों को अपने गांव से प्रखंड मुख्यालय आने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.गुमला जिला के कई पहाड़ी इलाके ऐसे हैं जहां पर लोगों को आज भी बीमार हो जाने के बाद खटिया पर मुख्य सड़क पर लाया जाता है.
झारखंड की नई सरकार से जागी लोगों की उम्मीद
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बताया कि इन समस्याओं को लेकर उन लोगों ने कई बार आवाज तो उठाई है बावजूद इसके उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई जिसके कारण वह इन्हीं समस्याओं के बीच में अपना जीवन वर्षों से जीने को मजबूर है. जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास सही रूप से नहीं हो अपने से सामाजिक कार्यकर्ताओं के चेहरे पर भी चिंता का स्वभाव दिख रहा है उन लोगों का मानना है कि सरकार को जितनी गंभीरता से इन क्षेत्र के विकास को लेकर काम करना चाहिए उतनी गंभीरता से अब तक काम नहीं हो पाया जिसके कारण इलाके की स्थिति काफी दयनीय बनी है लेकिन उन्होंने कहा कि इस बार हेमंत सोरेन की सरकार जिस तरह से अच्छे खासे बहुमत के साथ सरकार में आई है उससे उम्मीद की जा रही है कि उन सुदूरवर्ती इलाकों में भी विकास की योजनाएं सही रूप से पहुंच पाएगी जिन इलाकों में अब तक विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई है.
रिपोर्ट-सुशील कुमार