Ramgarh:- कुदरत ने बहुत कुछ ऐसी चिजे दी है, जिसकी गुत्थी सुलझाते-सुलझाते इंसान का वक्त गुजर जाता है. जल, जंगल और पहाड़ों की धरती झारखंड में भी बेशुमार नेमत कुदरत ने बख्शी है. हम आपको एक ऐसी नदी बताना चाहते हैं, जिसका पानी बेहद ही मीठा है, जो घने जंगलों से निकलती है. रामगढ़ के झूमरा पहाड़ से कलकल बहने वाली बगलता नदी का पानी तो गजब ही है, पीने में तो शुद्ध और मीठा है ही. इसके साथ ही ये लोगों को निरोग भी बनाता है. इसके पानी का इस्तेमाल पीने से लेकर स्नान करने का काम आसपास के ग्रामीण सालों से करते आ रहे हैं. बगलता नदी झुमरा पहाड़ से निकलकर चुटूआ नदी में मिलती है.
नदी का पुराना है इतिहास
घने जंगलों और पहाड़ों से होकर गुजरने वाली इस नदी तट पर पांच दशक पहले ऋषि- मुनियों का बसेरा हुआ करता था. महर्षि देव नारायण, कृपा चरण, महर्षि शंभु शरण का आश्रम हुआ करता था. पहले इस नदी को गंगा की तरह पवित्र मानी जाती थी. मांडू प्रखंड अंतर्गत लईयो उत्तरी पंचायत के गयछन्दवा व सरैयापानी गांव इसी नदी के पास बसा है. यहां के ग्रामीणों की माने तो ये नदी झुमरा पहाड़ से निकलकर 15 किमी सफर तय कर चुटूआ नदी में आकर मिल जाती है. इस नदी का पानी मीठा है और लोग बड़े चाव से इसका पानी पीते हैं.
चर्म रोग से मिलती है मुक्ति
बताया जाता है कि, कुछ दिनों तक इस नदी के पानी से स्नान करने के बाद चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है. इसके पीछे यहां के बुढ़े-बुजुर्ग कहते है कि इसके उदगम स्थल के आसपास काफी मात्रा में जड़ी-बूटी मौजूद है, जिसके कारण इसका पानी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहा है. यह पानी इतना बेहतर है कि बोतलबंद पानी इसके आगे कुछ नहीं है. इसके पानी की शुद्धता और महता इतनी थी कि पांच दशक पहले दूर-दूर से ऋषि-मुनियों का जमावड़ा लगा रहता था, लेकिन, समय के साथ काफी कुछ बदलाव हुआ, जिसका असर नदी पर भी पड़ा . हालांकि, यहां के स्थानीय लोगों का आज भी कहना है कि नदी के उदगम स्थल पर कई तरह के औषधीय पौधे मौजूद है, जिसका इस्तेमाल से कई रोग से निजात मिल सकती है.
झारखंड की इस नदी के पानी के सामने मिनरल वाटर भी फेल है ! पढ़िए कहां बहती है मीठे पानी वाली नदी
Published at:23 Feb 2024 08:13 PM (IST)