लोहरदगा (LOHARDAGA) : झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यहां के आंदोलन कारियों को यह तो उम्मीद थी ही कि उनके बच्चों का भविष्य सुधरेगा और राज्य अपने विकास की गाथा लिखते हुए एक लंबी लकीर खींचेगा. लेकिन राज्य का विकास किस रूप में हुआ यह अभी समझना बाकी है. क्योंकि लोहरदगा नगर परिषद क्षेत्र इलाके के लोग आज भी पगडंडी का सहारा लेकर अपने घरों तक जाते हैं. बिजली के लिए लकड़ी के पोल का सहारा लेते हैं, पीने के पानी के लिए लंबी दौड़ लगाते हैं. कहा जाय तो विकास अभी इस इलाके से कोसों दूर है. यह इलाका शहर के न्यू रोड़ गड़ा टोली का है, यहां के लोग लंबे समय से विकास की मांग कर रहे हैं. लेकिन इस ओर न तो नगर परिषद का ध्यान जा रहा है और न ही जिला प्रशासन का, इस इलाके में वोटरों की संख्या भी कम है ऐसे में राजनीतिक दलों की हलचल भी इस इलाके में नहीं होती है, कई बार वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने इन लोगों ने गुहार लगाने का कार्य किया. ग्रामीणों को इस दिशा में कोई सफलता हासिल नहीं हुई. अब गांव वाले इसी परिस्थिति में वक्त काटने को मजबूर है, बरसात के मौसम में स्थितियां और भी बद से बद्दतर हो जाती है. अब इन इलाकों में रहने वाले लोग विकास की टकटकी लगाए बैठे हैं.
डीसी को नहीं थी मामले की खबर
शहरी क्षेत्र का इलाका विकास से कोसों दूर होने के मामले में लोहरदगा डीसी वाघमारे प्रसाद कृष्ण ने कहा कि पत्रकार से मिली खबरों के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है. इस दिशा में नगर परिषद को कदम उठाने का निर्देश जल्द से जल्द दिया जाएगा. राज्य का विकास तभी संभव है. जब गांव और शहर नियमित रूप से विकसित हो, इस दिशा में जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी अहम हो जाती है. वार्ड सदस्य और मुखिया के अलावे विधायकगण नियमित रूप से अपने क्षेत्र का भ्रमण कर विकास का खाका खींचने का कार्य करते हैं. ऐसे में इन इलाकों का विकास न होना सभी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है. अब देखना है कि इस ओर किनका ध्यान जाता है और विकास योजनाएं कब तक धरातल पर उतरती है.
रिपोर्ट: गौतम लेनिन, लोहरदगा