धनबाद(DHANBAD): धनबाद को झारखंड की आर्थिक राजधानी कहा और माना जाता है .लेकिन संसाधन के मामले में यह जिला हमेशा से फिसड्डी रहा है. कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो जिधर भी नजर दौड़ा लीजिए, परिस्थितियां उत्साहवर्धक नहीं है. ट्रैफिक हो, रोड हो, बिजली हो ,आग से बचाव हो, सब जगह व्यवस्था जरूरत से कम दिखती है. धनबाद अग्निशमन विभाग को आज तक एक हाइड्रोलिक दमकल नहीं उपलब्ध हो पाया है. और यह स्थिति तब है जब एक साल पहले ठीक आज ही के दिन धनबाद में अग्नि ने कोहराम मचा कर रख दिया था. 14 लोगों की जान चली गई थी .शादी समारोह में पहुंचे एक ही परिवार के 14 लोगों की जान गई थी. अग्निकांड के आज एक साल पूरा हो गए. जिंदगी तो धीरे-धीरे पटरी पर लौटी लेकिन कमियां जो थी, वह आज भी मुंह बाए खड़ी है.
आशीर्वाद टावर अग्निकांड ने केवल राज्य सरकार ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार को भी हिला कर रख दिया था. मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री बन्ना गुप्ता धनबाद पहुंचे थे. धनबाद के लोगों को आश्वासन मिला था कि जल्द ही समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा. जांच टीमों का गठन हुआ. जिलेभर में जांच अभियान चलाए गए. अग्नि सुरक्षा से जुड़ी खामियों को दूर करने के प्रयास शुरू किए गए. कई प्रतिष्ठानों पर गाज भी गिरी. लेकिन फिर सब पुराने दिनों की तरह चलने लगी. जिन प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई हुई थी, वहां फिर से पुराने हालत बहाल हो गए. हादसे के बाद भी ना तो आपदा प्रबंधन और ना ही अग्निशमन विभाग को सुदृढ़ किया गया. जो सुविधा थी, संसाधन थे, उनकी भी स्थिति खराब हो गई है. विभाग के पास टूल किट भी नहीं है. घटना के बाद जो भी बातें कही गई और फिलहाल जो वास्तविकता है, वह मेल नहीं खाते है.
अग्नि सुरक्षा को लेकर कोई टाउन प्लानिंग नहीं
पूरे धनबाद जिले में अग्नि सुरक्षा को लेकर कोई टाउन प्लानिंग नहीं है. और नहीं अग्निशमन विभाग के पास कोई ऐसा इंतजाम है ,जो संकट के समय तत्काल काम आ सके. आशीर्वाद टावर के आलावा केंदुआ में भी केवल दमकल की गाड़ियों को जगह नहीं मिलने से पहुंचने में देरी हुई और तीन लोगों की जान चली गई. फिर भी कोई सुधार नहीं हुआ. बात सिर्फ इतनी ही नहीं है ,आशीर्वाद टावर ,हाजरा हॉस्पिटल, केंदुआ कांड ऐसे थे जो किसी को भी परेशान कर सकते हैं .फिर भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ. जब घटना होती है तो लंबी चौड़ी बातें कही जाती है. राजनीतिक दल से लेकर सामाजिक संगठन सहित प्रशासनिक अमला सक्रिय हो जाता है. लेकिन धीरे-धीरे फिर मामला ठंठे बस्ते में चला जाता है और धनबाद के किस्मत में कुछ नया होता नहीं है.
रिपोर्ट : धनबाद ब्यूरो