धनबाद(DHANBAD): मधु कोड़ा सरकार में मंत्री रहे एनोस एक्का को हाई कोर्ट से झटका लगा है. हाई कोर्ट ने "2009 में उनकी विधानसभा की सदस्यता को रद्द करने के आदेश को सही बताते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दी है. बुधवार को जस्टिस एस के द्विवेदी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए स्पीकर की सदस्यता रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी. एनोस एक्का ने स्पीकर के 13 अगस्त '2009 को उनकी विधानसभा से सदस्यता रद्द किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी. उन पर 2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद झारखंड पार्टी के व्हीप का उल्लंघन करते हुए एनडीए के पक्ष में मतदान करने का आरोप था.
विधानसभा अध्यक्ष ने एनोस एक्का की विधायकी खत्म कर दी थी
विधानसभा अध्यक्ष ने सुनवाई के बाद एनोस एक्का की विधायकी को समाप्त कर दी थी. एनोस एक्का ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि पार्टी द्वारा जारी व्हीप उनलोगों पर लागू नहीं होता है. उसके बाद उनकी पार्टी ने एनडीए के पक्ष में मतदान करने के लिए दोबारा व्हीप जारी किया था. इसलिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनकी विधायकी रद्द किया जाना अनुचित है. 2005 के विधानसभा चुनाव में कोलेबिरा विधानसभा से चुने गए थे. मधुकोड़ा सरकार में वह मंत्री थे.
निर्दलीय विधायक होते हुए मुख्यमंत्री बने थे मधु कोड़ा
निर्दलीय विधायक होते हुए मुख्यमंत्री बनने का इतिहास बनाने वाले मधुकोड़ा 18 सितंबर' 2006 से लेकर 23 अगस्त '2008 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. झारखंड के वह पांचवें मुख्यमंत्री थे. उनके मंत्रिमंडल में भी 12 सदस्य थे. हालांकि आधे से अधिक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. भ्रष्टाचार के आरोप तो मधु कोड़ा पर भी लगे. उनके मंत्रिमंडल के जिन मंत्रियो पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उनमें एनोस एक्का, हरि नारायण राय, बंधु तिर्की, भानु प्रताप शाही, कमलेश सिंह शामिल थे. मधु कोड़ा बहुचर्चित कोयला घोटाले में दोषी पाए गए थे. मधुकोड़ा की पत्नी फिलहाल कांग्रेस से सांसद है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो