दुमका(DUMKA): पूरे देश में इन दिनों ईडी की चर्चा जोरों पर है. गलत करने वाले सलाखों के भीतर पहुँच रहे हैं. झारखंड की बात करें तो ईडी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच रस्सा कस्सी का खेल चल रहा है. ईडी द्वारा सीएम के नाम समन पर समन भेजा जा रहा है और सीएम हेमंत सोरेन ईडी के समक्ष पेश होने के बजाय न्यायालय की शरण में जा रहे है. इस सबके बीच गोड्डा के महागामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने ईडी को कठपुतली करार दिया और कहा कि केंद्र सरकार की मर्जी पर गृह मंत्री अमित साह और पीएम नरेंद्र मोदी कठपुतली रूपी ईडी को नचा रहे हैं.
जो केंद्र सरकार की बातें ना माने, ना सुने उसके पीछे ईडी लगा दिया जाता: दीपिका पांडे
विधायक दीपिका पांडेय सिंह एक केस के सिलसिले में दुमका पहुचीं. एमपी एमएलए की विशेष अदालत में उनकी पेशी हुई. केस की अगली तिथि 13 अक्टूबर निर्धारित की गई. कोर्ट ने निकल कर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देश का माहौल किसी से छिपी नहीं है. यहां तानाशाही का राज्य है. जो केंद्र सरकार की बातें ना माने, ना सुने उसके पीछे ईडी लगा दिया जाता है. केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी इतना मजबूत संगठन था. भ्रष्टाचार रोकने और कार्यवाई करने के लिए बनी थी. लेकिन आज स्थिति हास्यास्पद बन गयी है. इसका दुरुपयोग हो रहा है. ईडी कठपुतली बन कर रह गया है. गृह मंत्री अमित साह और पीएम नरेंद्र मोदी को जहां परेशानी महसूस होती है वहां ईडी के माध्यम से राहत चाहते है. उसी कड़ी में तमाम गिरफ्तारियां हो रही है और समन जारी हो रहा है.
ईडी द्वारा सीएम हेमंत सोरेन को बार बार समन जारी करने और सीएम द्वारा पेश नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के अधीन सीएम को पूरा अधिकार है कि वे न्याय की गुहार लगाएं. फिलहाल मामला हाई कोर्ट में है जो सुनवाई होगी उसे स्वीकार्य करेंगे. फिलहाल इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है.
बाबूलाल पर भी जमकर साधा निशाना
संकल्प यात्रा पर निकले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधते हुए वे कहा कि वे भले ही पूरे राज्य में घूम रहे हैं लेकिन उसकी चर्चा कितनी हो रही है यह किसी से छिपी नहीं है. कहा कि आदमी जब सर्वोच्च पद पर पहुँच जाता है तो शांतिपूर्वक उन्हें सेवानिवृति लेनी चाहिए. राज्य की जनता ने उन्हें उचित मान सम्मान दिया. बाबूलाल मरांडी को एक गंभीर नेता के रूप में माना. इसके बाबजूद भाजपा से अलग पार्टी बनाकर वर्षो बाद भाजपा में वापसी से उनकी स्थिति हास्यास्पद हो गयी है.
रिपोर्ट: पंचम झा