टीएनपी डेस्क(TNP DESK):शनिदेव को सबसे क्रोधित देवता माना जाता है. जब भी कोई इंसान गरीब लोगों पर अत्याचार करता है, या फालतू में किसी की बेईज्जी या अपमान करता है. तो शनि महाराज क्रोध में आ जाते हैं. और अपने प्रतिकूल प्रभाव से लोगों को दंडित करते हैं. जो लगभग साढ़े सात साल का होता है. शनिदेव के इस प्रभाव को साढ़े साती कहा जाता है. इस ग्रह के चढ़ते ही व्यक्ति के जीवन में परेशानियों का आगमान होता है. और वो हमेशा परेशान होता रहता है.
अपने-अपने तरीके से लोग करते है शनिदेव को प्रसन्न
वहीं शनि ग्रह से बचने और शनिदेव को खुश करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं. कुछ लोग शनिवार के दिन पीपल पेड़ के नीचे पूजा-पाठ करते हैं तो कुछ लोग दान-पुण्य करते हैं. इसके साथ ही लोग इस दिन खिंचड़ी बनाकर खाते है. जिससे ग्रह कम होते हैं.
शनिवार को भुंजा खाने से शनिदेव के प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सकता है
इसके साथ ही शनिवार को भुंजा खाने से भी शनिदेव के प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सकता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिवार के दिन खिचड़ी खाने से शनिदेव जहां खुश होते है. तो वहीं काले चने की चावल, चिवड़ा चने का भुजा खाना और काले चने की सब्जी खाना चाहिए. इससे आपके जीवन में शांति और खुशहाली बनी रहती है.
शनिदेव को काला रंग है अति प्रिय
शनि महाराज को बहुत जल्दी क्रोध आता है. शनिदेव बुरे कर्म करनेवाले लोगों से जल्दी नाराज होते हैं. इनको खुश करने के लिए भगवान शिव की भी पूजा की जाती है. क्योंकि शिव शनि देव के गुरु माने जाते हैं. भोलेनाथ ही शनि देव के क्रोध को कम कर सकते हैं. शंकर जी ने ही शनि देव को ब्रह्मांड में कर्म न्यायाधीश की जिम्मेदारी दी थी. धार्मिक कथाओं के अनुसार शनिदेव के पिता भगवान सूर्य और माता छाया हैं. एक बार क्रोध में में भगवान सूर्य ने अपने पुत्र शनि को जलने का श्राप दिया था. अपने पिता को खुश करने के लिए शनिदेव ने काले तिल से पिता की पूजा की तो वो प्रसन्न हो गये. शनिदे को काला रंग अति प्रिय है.
रिपोर्ट-प्रियंका कुमारी