धनबाद(DHANBAD): राज्य सरकार के अस्पताल हो या लोक क्षेत्रीय प्रतिष्ठानों के अस्पताल. जरूरत के हिसाब से मरीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं है. डॉक्टरों की कमी की बात हमेशा उठती रही है. जिस रफ्तार से मरीज बढ़ रहे हैं, उस गति से डॉक्टर नहीं तैयार किए जा सक रहे है.अभी हाल ही में तो नीट की परीक्षा में पेपर लीक होने को लेकर सरकार सबके निशाने पर है. इस बीच दामोदर वैली कारपोरेशन(डीवीसी) ने निर्णय लिया है कि डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र अब 60 से 65 वर्ष कर दी जाएगी. यह निर्णय डी वी सी की बोर्ड की बैठक में लिया गया है.
चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी
कहा गया है कि देशभर में एक्सपीरियंस्ड डॉक्टरों की कमी और अन्य कारणों को लेकर भारत सरकार ने अपने विभिन्न चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी है. डीवीसी को भी वर्तमान और भविष्य की जरूर को पूरा करने के लिए डॉक्टरों की कमी से जूझना पड़ रहा है. डॉक्टरों की सेवा निवृत्ति उम्र बढ़ाने का मामला लंबित था. इस मामले को 22 जुलाई को बोर्ड के समक्ष रखा गया था. जिसे पारित कर दिया गया.
निर्णय हुआ कि दांत के डॉक्टरों सहित डीवीसी के स्थाई चिकित्सकों की सेवा निवृत्ति उम्र बढ़ा दी जाए. सेवारत डॉक्टर को वर्तमान सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष पूरा होने से कम से कम 3 महीने पहले अपनी सेवा 65 वर्ष तक बढ़ाने का विकल्प देना होगा. डीवीसी में कार्यरत तथा मापदंडों को पूरा करने वाले डॉक्टर अपना विकल्प प्रस्तुत कर सकते हैं. अपना विकल्प 3 महीने पहले नहीं देने वाले डॉक्टर 60 वर्ष की उम्र में ही सेवा मुक्त कर दिए जाएंगे. इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. इससे कम से कम डीवीसी के अस्पतालों को तत्काल डॉक्टरों की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा.
चिकित्सा सेवा में सुधार की जरुरत
सरकार के लिए चिकित्सा सेवा में सुधार करने की हर जगह जरूरत महसूस की जा रही है. धनबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था के बाद जब जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया तो सुधार जरूर हुआ है, लेकिन इसमें और सुधार की गुंजाइश है. जिला प्रशासन की टीम लगातार अस्पताल का निरीक्षण कर रही है. अस्पताल कई समस्याओं से जूझ रहा है. यहां भी डॉक्टरों की घोर कमी है.लेकिन यह बात भी सच है कि जितने संसाधन अस्पताल में उपलब्ध हैं ,उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है. नतीजा है कि दूर दराज से पहुंचे लोगों को भारी निराशा हाथ लग रही है. जिनके पास निजी अस्पतालों में इलाज कराने की आर्थिक क्षमता नहीं है, उन्हें तो सरकारी अस्पतालों के भरोसे ही रहना होता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो