Bermo:-कोयलानगरी बेरमो की पहचान तो दुनिया में काले हीरे यानि कोयले को लेकर है. लेकिन, इस ऐतिहासिक नगरी में मां शेरोवाली की पूजा भी बड़े धूम-धाम और उल्लास से मनाई जाती है. जहां परंपरा,संस्कृति और रीति रिवाज का अनूठा संगम देखने को मिलता है. खासकर, सबसे बड़ी कॉलोनी मानी जाने वाली सुभाष नगर की दुर्गा पूजा तो अपना अलग ही इतिहास समेटे हुए है. जिसे देखने के लिए सिर्फ झारखंड से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्य से भी श्रद्धालु पहुंचते है.
लगभग 60 साल से हो रही दुर्गा पूजा
पिछले तकरीबन साठ साल से सुभाष नगर कॉलनी की दुर्गापूजा मनाई जा रही है. बताया जाता है कि एक वक्त चटाई को घेरकर 1965 में पूजा की शुरुआत की गई थी. धीरे-धीरे वक्त बीता तो इसका दायरा बढ़ता गया. दिनों दिन इसकी भव्यता और मां की महिमा फैलती ही गई. आधुनिकता जब अपना पांव पसारा तो फिर यहां की पूजा भी चकाचौंध से पीछे नहीं रही. वक्त बीतने के साथ-साथ यहां भी बदलाव की बयार बही. आज तो दुर्गा पूजा के दौरान इतनी भीड़ उमड़ती है कि खड़े होने के लिए जगह ही नहीं बचती. यहां की ऐतिहासिक पूजा को देखकर कई पीढ़िया आबाद हुई, बच्चे आज बुजर्ग हो गये. लेकिन, मां जगदम्बे की पूजा आज भी उसी रिवाज औऱ दस्तूर से की जाती है.
पंडाल बनते हैं बेहद खूबसूरत
सुभाष नगर कॉलनी की दुर्गपूजा की एक अलग पहचान इसलिए भी है कि यहां का पंडाल बेहद भव्य, मंहगा और खूबसूरत बनाया जाता है. यहां दो दशक पहले, जब लाख रुपए की कीमत मायने रखती थी उस वक्त सिर्फ पंडाल बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते थे. कोलकाता से कलाकर यहां पंडाल और मूर्ति बनाने के लिए महीने पहले पहुंच जाते थे. यहां पंडाल, मूर्ति, साज-सज्जा और लाइटिंग की चर्चा हमेशा से होती रही है.
दूर-दूर से आते हैं भक्त
अगर कोई सैलानी या भक्त बेरमो में दुर्गापूजा देखने के लिए आते हैं, तो सुभाष नगर की पूजा देखे बिना वापस नहीं लौटते. दरअसल, यहां की बात ही कुछ अलग होती है. आष्टमी और नवमी के दिन तो काफी भीड़ देखने को मिलती है. गाड़ियों की कतारे कई किलोमीटर तक खड़ी रहती है. पुलिस-प्रशासन के लोग चौबिस घंटे यहां सुरक्षा के मद्देनजर चौकन्ने और मुस्तैद रहते हैं. इस बार भी यहां का पंडाल सफेद रंग का बेहद खूबसूरत और खर्चीला बनाया गया है. अभी से ही इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह