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डुमरी विधान सभा उपचुनाव- 1967 के बाद पहली बार किसी महिला को मिल सकता है प्रतिनिधित्व का मौका

डुमरी विधान सभा उपचुनाव- 1967 के बाद पहली बार किसी महिला को मिल सकता है प्रतिनिधित्व का मौका

Dumri By-Election: 1967 का विधान सभा चुनाव वह पहला और अंतिम मौका था, जब किसी महिला ने डुमरी विधान सभा से जीत का परचम लहराया था और यह सौभाग्य राजा पार्टी की एस. मंजरी को प्राप्त हुआ था, उसके बाद का 56 वर्ष इस बात का गवाह है कि डुमरी की जनता ने कभी किसी महिला को विधान सभा नहीं भेजा, अपने प्रतिनिधित्व के योग्य नहीं माना. महिला अधिकार और लैंगिक समानता की दृष्टि से डुमरी विधान सभा की जमीन बंजर ही साबित हुई. हालांकि इस बीच देश और झारखंड की राजनीति में महिला समानता और सम्मान की गूंज गुंजती रही. उसका डंका पिटा जाता रहा.

टूटता नजर आ रहा है 56 वर्षों का इतिहास

लेकिन इस बार 56 वर्षों का वह इतिहास अब टूटता नजर आ रहा है. क्योंकि मुख्य मुकाबला इंडिया गठबंधन की बेबी और एनडीए गठबंधन की यशोदा देवी के बीच में ही सिमटता नजर आ रहा है. और दोनों ही प्रत्याशियों की ओर से अपने -अपने पतियों की शहादत और संघर्ष की कथा सुनाई जा रही है. उनका त्याग और संघर्ष की कहानी बतायी जा रही है, इस बात का भरोसा दिलाया जा रहा है कि यदि उनकी जीत हुई तो वह उस अधूरे संकल्प को पूरा करने का काम करेंगे, जिसे बीच मंझधार में छोड़कर उनके पतियों को जाना पड़ा.

यहां याद रहे कि इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार बेबी देवी पूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय जगरनाथ महतो और एनडीए गठबंधन की उम्मीदवार यशोदा देवी आजूस का एक बेहद महत्वपूर्ण नेता स्वर्गीय दामोदर महतो की धर्म पत्नी हैं. मुख्य मुकाबला इन दोनों की बीच ही होता नजर आ रहा है.

छह दशकों की राजनीति में झारखंड में आया बड़ा बदलाव  

हालांकि इस बीच देश और झारखंड की राजनीति में कई बड़ा बदलाव हुआ, अब यहां कोई राजा नहीं है, और ना ही कोई राजा की पार्टी, जनता जनार्दन है, आदिवासी-मूलवासी की बहुलता वाले झारखंड में कभी विधान सभा से लेकर लोक सभा तक कुछ विशेष सामाजिक समूहों की धमक दिखती है, इन छह दशकों की राजनीति में उनकी संख्या  काफी हद तक सिमट चुकी है और जो चेहरे आज भी किसी प्रकार से जोड़-तोड़ कर अपनी चमक बनाये रखने में सफल रहे हैं, उनके खिलाफ भी भीतरी-बाहरी की हवा तेज हो गयी है, इसकी आवाज हवाओं में गुंजने लगी है, और कोई ताज्जुब नहीं होगा, यदि हम आने वाले दिनों में इन चेहरों में से कई को झारखंड की राजनीति से विदा होते हुए देखें.

हालांकि लोकतंत्र का तकाजा भी यही है कि सभी वर्गों और सामाजिक समूहों को उसकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्राप्त हो. जैसे-जैसे समाज के वंचित जातियों का सशक्तीकरण होता है, उसकी सामाजिक-राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी, अब सत्ता पर काबिज सामाजिक समूहों की हिस्सेदारी में गिरावट आयेगी. लोकतंत्र इसी रफ्तार से अपना विस्तार लेता जाता है. उसकी यही गति है.   

Published at:20 Aug 2023 05:43 PM (IST)
Tags:Dumri Legislative Assembly by-electionYashoda Devi of NDA alliance.Baby of India alliancedumari by Election
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