दुमका(DUMKA):कहते हैं बच्चे देश के भविष्य होते हैं और इनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी गुरु पर होती है. प्राचीन काल में गुरुकुल की परंपरा थी जो वर्तमान समय में शिक्षा व्यवस्था का रूप ले लिया है.झारखंड सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. विद्यालय भवन बनाए गए, शिक्षक की नियुक्ति की गई. विद्यालय में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित हो, इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना चलाया जा रहा है. इन तमाम प्रयासों के बाबजूद झारखंड की उपराजधानी दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है. इसकी एक बानगी देखने को मिली जरमुंडी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बाघमारी में जहां शिक्षक सौरभ कुमार क्लास रूम के प्रवेश द्वार पर कुर्सी पर बैठ कर मोबाइल में समय व्यतीत करने में मशगूल हैं, जबकि छात्र छत पर खेलने में मस्त हैं.
पढ़ाने समय करते है फोन का इस्तेमाल
अभिभावक अपने बच्चों के विद्यालय पढ़ने भेजते हैं, लेकिन विद्यालय की व्यवस्था से वे नाराज हैं. छात्र पढ़ाई के समय छत पर घूमते नजर आते हैं. पूछने पर कहते हैं कि शिक्षक क्लास लेने के लिए आते ही नहीं है, तो हम लोग क्या करें. ज्यादा समय सर मोबाइल ही चलाते रहते हैं. क्लासरूम और आसपास गंदगी का अंबार लगा है. इस मामले में अभिभावकों से पूछने पर पता चला कि विद्यालय में कई तरह की समस्याएं हैं. छत पर रेलिंग नहीं होने के कारण बच्चे कभी भी गिर सकते हैं, क्लासरूम गंदा रहने के कारण बच्चे क्लासरूम के बाहर ही बैठते हैं, टॉयलेट की व्यवस्था नहीं होने का कारण छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुनील टुडू ने बताया कि इस विद्यालय में पांच सरकारी और दो सहायक शिक्षक है. विद्यालय में जगह कम होने के कारण बच्चे छत चले जाते हैं. अगर छत पर चारदीवारी हो जाती तो बच्चे सुरक्षित रहते. दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.कई बार शिक्षकों को मोबाइल चलाने से मना किया है लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है.
प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने कहा होगी जांच
इस मामले पर जरमुंडी के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मो० जमालुद्दीन ने कहा कि आपके द्वारा इसकी सूचना मिली है. टीम गठित कर जांच कराया जाएगा. जांच में दोषी पाए जाने वाले शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी.यह तो एक बानगी है. कमोबेश यही हाल ग्रामीण क्षेत्र अधिकांश विद्यालयों का है. जरूरत है ऐसे लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई की ताकि वैसे शिक्षक अपनी कार्यशैली में सुधार ला सकें. नौनिहालों कि भविष्य के साथ खिलवाड़ कहीं से भी उचित नहीं है.
रिपोर्ट-पंचम झा