दुमका(DUMKA): 21वीं सदी में एक तरफ तो हम चांद पर नई दुनिया बसाने की बात करते है.वहीं आज भी हमारे समाज मे अंधविश्वास इस कदर हावी है कि किसी को भी डायन करार देकर प्रताड़ित करने से बाज नहीं आते हैं. सख्त नियम कानून और सरकार द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने के बाबजूद समय समय पर डायन बिसाही का मामला सामने आ ही जाता है.
डायन के आरोप में महिला को गर्म सलाखों से दागा गया
मानवता को शर्मसार करने का ताजा मामला झारखंड की उपराजधानी दुमका के सरैयाहाट से सामने आया है. जहां डायन के आरोप में एक 59 वर्षीया आदिवासी महिला को बुधवार की रात बंधक बनाकर ओझाओं द्वारा प्रताड़ित किया गया. महिला को गर्म सलाखों से दागा गया. त्वरित कार्यवाई करते हुए कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने महिला को मुक्त कराते हुए सभी 12 आरोपी को गिरफ्तार कर गुरुवार को जेल भेज दिया.
क्या है पूरा मामला
घटना को लेकर 59 वर्षीया महिला ने थाना में आवेदन देकर बताया है कि उसके गाँव के शंकर मुर्मू व उसका छोटा बेटा हमेशा बीमार रहता है. बुधवार की रात शंकर मुर्मू उसे बुलाकर अपने घर ले गया जहां पहले से दस बारह की संख्या में बाबा के भेष में लोग मौजूद थे. महिला को डायन करार देते हुए गर्म सलाखों से दागा गया. इसी बीच कुछ लोग उसे तरह तरह के जड़ी बूटी सुंघाने लगा. इसके बाद बाबाओं के द्वारा लाये गये बकरा, कबूतर, बिल्ली, मोड़ पँख इत्यादि के साथ मंत्रो का जाप किया जाने लगा. उसे पूरी रात डायन कहकर प्रताड़ित किया जाने लगा.
गृहस्वामी सहित सभी 12 आरोपी गुरफ्तार, भेजा गया जेल
पुलिस ने इस मामलें में गृहस्वामी शंकर मुर्मू और झाड़ फूँक करने वाले बाबाओं के विरुद्ध बीएनएस की धारा 126(2), 127(2), 352, 351(2), 351(3) व डायन प्रथा अधिनियम 3/4 के तहत मामला दर्ज करते हुए 12 लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. गिरफ्तार लोगों में शंकर मुर्मू सहित देवलाल टूड्डू, सूरजफूल हांसदा, दोनों ग्राम डंदुआकूड़ा, मुनि मुर्मू, लुरथू सोरेन, मुंकू हांसदा तीनों ग्राम तितलखी, बहामुनी हांसदा, ग्राम बारिसत, सूरजमुनी सोरेन ग्राम सलैया, तालो टूड्डू, दिलीप मरांडी दोनों ग्राम कोठीडिंडा, अजित हेमब्रम ग्राम सलैया और पुलिस टूड्डू ग्राम बेरिसाल का नाम शामिल है.
बिहार के बांका से बुलाये गए थे ओझा
गृहस्वामी शंकर को छोड़कर सभी आरोपी बिहार के बांका जिला का रहने वाला है, जिसमें महिला भी शामिल है. जरमुंडी एसडीपीओ संतोष कुमार ने घटना की पुष्टि की है. यह घटना हमें सोचने पर विवश करता है कि आखिर कहां जा रहा है हमारा समाज. हमारे समाज में अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत है कि हमें अपने आप को सभ्य समाज की हिस्सा कहने में भी शर्म महसूस होगी.
रिपोर्ट: पंचम झा