दुमका (DUMKA) : सितंबर 2022 से दुमका रेलवे स्टेशन से कोयला डंपिंग यार्ड की शुरुआत की गई है. पाकुड़ के सड़क मार्ग से कोयला दुमका रेलवे स्टेशन के समीप डंप किया जाता है. जहां से गुड्स ट्रेन के माध्यम से अन्यत्र भेजा जाता है. जब दुमका रेलवे स्टेशन से कोयला डंपिंग यार्ड के शुरु होने की घोषणा की गई थी. उसी वक्त से स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद सितंबर 2022 से यह चालू हो गया. डंपिंग यार्ड शुरू होते ही रेलवे स्टेशन और आसपास के लोग प्रदूषण से परेशान है. आलम यह है कि दुमका रेलवे स्टेशन पर कोई भी ऐसा स्थल सुरक्षित नहीं जहां यात्री प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस ले सके. यात्रियों के बैठने की जगह पर कोयले की परत चढ़ी हुई है. कोयला का धूल लोगों के घरों तक पहुंच रहा है. कोयला डंपिंग यार्ड को सघन अधिवास से दूर अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया. अब इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का जिम्मा सिविल सोसाइटी दुमका के सदस्यों ने लिया है. कई दौर की बैठकों के बाद चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत की गई है. इसी कड़ी में आज सिविल सोसाइटी के बैनर तले दुमका के दुधानी स्थित झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष लोगों ने एक दिवसीय धरना दिया.
नियम के विपरीत हो रहा काम
सिविल सोसाइटी के सदस्यों का स्पष्ट कहाना है कि जनता को अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते. आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. वहीं झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी कमलाकांत पाठक भी मानते हैं कि काम नियम के विपरीत हो रहा है. उनका कहना है कि पैसेंजर ट्रेन और गुड्स ट्रेन दोनों समानांतर नहीं चलाया जा सकता. उन्होंने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए गए हैं लेकिन वह उपाय नाकाफी साबित हो रहा है. अभी भी प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है.
डंपिंग यार्ड से कई को मिल रहा रोजगार
इस संबंध में संबंधित पदाधिकारी का कहना है कि कोयला डंपिंग यार्ड शुरू होने से एक तरफ जहां रेलवे को राजस्व की प्राप्ति हो रही है, वहीं दूसरी ओर कई लोगों को स्वरोजगार भी मिला है. लेकिन इस सबके बावजूद अधिकांश लोग प्रदूषण से परेशान हैं. संबंधित अधिकारी भी मानते हैं कि नियम के विपरीत कार्य हो रहा है. यह सत्य है कि विकास के साथ-साथ विनाश भी होता है लेकिन यहां विकास कम विनाश ज्यादा हो रहा है. इसकी वैकल्पिक व्यवस्था भी हो सकती है. दुमका में भले ही रेलवे देर से आया है लेकिन उप राजधानी का दर्जा होने के कारण धीरे-धीरे यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी भी हो रही है. उस स्थिति में उसी जगह से कोयला डंपिंग यार्ड को शुरू करना कहीं से भी उचित नहीं है. दुमका स्टेशन से सटे कई ऐसे हॉल्ट और स्टेशन है जो सघन अधिवास से दूर हैं. अगर इसे वहां व्यवस्थित कर दिया जाए तो लोगों की परेशानी भी दूर हो जाएगी और क्षेत्र का विकास भी होगा. और यही मांग सिविल सोसाइटी की भी है.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका