दुमका (DUMKA) : हाल के दिनों में झारखंड की उपराजधानी दुमका में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. जिले के चर्चित पेट्रोल कांड मामले की जांच करने दुमका पहुंचे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा था कि नाश के कारण अपराध पनप रहा है और जिले के टीन एजर्स इसके दलदल में फंस रहे है. जो कफ सिरप और नशीली दवाई का उपयोग कर रहे है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बयान आने के बाद जिला प्रशासन द्वारा टीनएजर्स (teenagers) को नशा के चंगुल से बचाने के लिए क्या प्रयास हुआ, जानिए
अपराध और नशा के बीच है अन्योन्याश्रय संबंध
अपराध और नशा के बीच अन्योन्याश्रय संबंध है. यह हम नहीं बल्कि मनोविज्ञान कहता है. और दुमका के युवा नशा के गिरफ्त में आकर अपराध की घटना को अंजाम देते है. यह कहना है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का. दरअसल दुमका में 23 अगस्त को पेट्रोल कांड पार्ट वन की घटना घटी. 28 अगस्त को पीड़िता की मौत के बाद मामले की जांच करने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष 5 सिंतबर को दुमका पहुंचे. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि दुमका के युवा नशा के गिरफ्त में आ रहे है. उन्होंने कहा था कि इसके लिए युवा कफ सिरप और दवाई का उपयोग करते है. शैक्षणिक संस्थानों के आस पास इस तरह की सामग्री की बिक्री हो रही है और जिला प्रशासन इसे रोकने में विफल साबित हो रहा है.
बिकी हुई हर दवाई का रखा जाएगा हिसाब
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष के इस बयान के बाद जिला प्रशासन हरकत में आयी. एसडीओ के स्तर से एक आदेश निर्गत किया गया जिसमें कहा गया था कि मेडिकल स्टोर संचालकों को इस तरह की दवाई की बिक्री के लिए एक रजिस्टर मेंटेन करना होगा. जिला प्रशासन समय समय पर इसका जांच करेगी. जिला प्रशासन के इस आदेश का जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन द्वारा स्वागत किया गया. एसोसिएशन के अध्यक्ष ने स्पस्ट कहा कि गलत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई होनी चाहिए.
अवैध कफ सिरप के कारोबार का इतिहास
जिला प्रशासन द्वारा आदेश निर्गत हुआ. नोटिस के रूप में निश्चित रूप से मेडिकल स्टोर संचालकों को थमाया गया होगा. लेकिन आदेश का कितना पालन हो रहा है इसकी जांच अभी तक जिला प्रशासन द्वारा किए जाने की कोई सूचना नहीं है. दुमका में अवैध कफ सिरप के कारोबार का इतिहास रहा है. लगभग 2 वर्षो में अवैध कफ सिरप का दो खेप पुलिस ने जप्त किया है. इसके बाबजूद सर्फ कागज पर आदेश निर्गत कर देने से नशा के अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगेगा. जरूरत है प्रसासन को अपने आदेश के का सख्ती से पालन कराने का नहीं तो जिले के युवा नशा के गिरफ्त में आकर अपराध के दलदल में फंसते रहेंगे.