दुमका(DUMKA): जीवन में माता - पिता की क्या अहमियत होती है इससे सभी वाकिफ हैं. महसूस वो करते हैं जिनके सिर से माता - पिता का साया उठ चुका हो. लेकिन जब माता - पिता के रहते बच्चे लावारिश और अनाथ कहलाने लगे तो उन बच्चों का जीवन कितना कठिन हो सकता है, इसकी कल्पना मात्र से ही मन व्यथित हो जाता है. तभी तो बाल कल्याण समिति के अथक प्रयास के बाबजूद एक किशोरी को नहीं बचाया जा सका.
CWC के प्रयास के बाबजूद नहीं बचाया जा सका किशोरी को
दरअसल बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र यादव को सूचना मिली कि मफ़स्सिल थाना क्षेत्र के एक गांव में एक किशोरी की तबियत बहुत खराब है. उसकी देख भाल छोटे भाई - बहन द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि माता - पिता छोड़ कर चले गए हैं. रविवार दोपहर को बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डा. अमरेंद्र यादव ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एक टीम के साथ एंबुलेंस भी भेजी. टीम के सदस्य बच्ची को लेकर फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे. डॉ ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. सूचना पर समिति के अध्यक्ष अस्पताल पहुंचे और घटना पर दुख जताया. उन्होंने किशोरी के पिता को मौत की जानकारी दी, लेकिन पिता ने शव को अपनाने और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया.
4 बच्चों को छोड़ माता - पिता ने बसा ली अलग अलग दुनिया
कहते हैं पुत्र कुपुत्र हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं, लेकिन आज के दौर में कुछ मां ऐसी भी हैं जो मां जैसे पवित्र शब्द को कलंकित करती है. सीडब्लूसी अध्यक्ष ने बताया कि किशोरी का पिता दूसरी शादी करने के बाद काम की तलाश में असम चला गया. उसके जाने के बाद मां भी दूसरी शादी करके कहीं चली गई. इस बीच किशोरी बीमार पड़ गई. माता पिता की गैर मौजूदगी में भाई बहन उसकी सेवा कर रहे थे. समुचित इलाज नहीं होने की वजह से उसकी जान चली गई. उन्होंने बताया कि बीमारी का कारण पता करने के लिए सोमवार को शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा. समिति के आग्रह पर सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद सोरेन किशोरी के गांव गए हैं और वे लगातार उसके परिजनों एवं समाज के लोगों के संपर्क में रहकर शव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था में लगे हैं. परिजनों के साथ मिलकर शव का अंतिम संस्कार कराया जाएगा.
3 बच्चों की देखभाल और संरक्षण करेगी बाल कल्याण समिति
रविवार को ही चाइल्ड हेल्पलाइन के माध्यम से मृतिका से छोटी दो बहनों (13 और 8 वर्ष) औऱ एक भाई (4 वर्ष) को बालगृह में आवासित करा दिया गया है. तीनों बच्चों की देखभाल और संरक्षण बाल कल्याण समिति करेगी. सीडब्लूसी अध्यक्ष ने जानकारी दी कि 2022 में मृतिका से छोटी बहन 11 वर्ष की अवस्था में घर से भाग गयी थी जिसे समिति ने बालगृह में आवासित कर रखा था. समिति के प्रयास से इस वर्ष उसका कस्तुरबा विद्यालय में नामांकन के लिए चयन हो चुका है. उसका नामांकन करवाने के लिए ही बालगृह की प्रभारी उसके घर गयी थी तो उसकी बड़ी बहन के बीमार होने की जानकारी मिली.
मृतात्मा पूछ रही होगी, मेरा क्या कसूर
मानवता को झकझोर ने वाली यह घटना हमें सोचने पर विवश करता है कि आखिर कहां जा रहा है हमारा समाज. माता - पिता अपनी अलग अलग दुनिया बसा कर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन इन मासूम का क्या कसूर जिसे मरने के बाद भी अपनों ने अपनाने से इनकार कर दिया.
रिपोर्ट: पंचम झा