दुमका(DUMKA): सामान्यतः मेला का अर्थ समूह से होता है और जब समूह के पहले स्वयं सहायता शब्द जुड़ जाए अर्थात स्वयं सहायता समूह द्वारा मेला लगाया गया हो तो मेला का महत्व स्वभाविक रूप से बढ़ जाता है. हम बात कर रहे हैं दुमका के गांधी मैदान में लगे पलाश आजीविकोत्सव सरस मेला 2022 का, जिसका आज विधिवत उद्घाटन हो गया. मंत्री आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख, विधायक बसंत सोरेन, नलिन सोरेन सहित कई गणमान्य अतिथियों द्वारा मेला का उद्घाटन किया गया.
18 राज्यों के स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधि ने लगाया स्टॉल
यह मेला 20 दिसंबर तक चलेगा जहां देश के 18 राज्यों के स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधि ने पहुंचकर अपना स्टॉल लगाया है. झारखंड के विभिन्न जिलों के भी प्रतिनिधि यहां पहुंचे हैं और उनके द्वारा भी स्टॉल लगाया गया है. लगभग डेढ़ सौ स्टाल में स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित सामग्री की प्रदर्शनी और बिक्री हो रही है.
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार महिलाओं को स्वावलंबी बनाना चाहती है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा सामग्री का निर्माण तो होता है लेकिन उसे बेचने में उन्हें परेशानी होती है क्योंकि उचित बाजार नहीं मिलता है. इस तरह के मेला लगाने के पीछे सरकार की मंशा यही है कि ना केवल महिलाओं द्वारा निर्मित सामान की बिक्री हो सके बल्कि विभिन्न राज्यों के स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित सामग्री के बारे में संथाल परगना प्रमंडल की महिलाएं भी जान सके, समझ सके और उसे खुद से बनाने का प्रयास भी कर सके.
मेले में प्रवेश का नहीं लगेगा शुल्क
मेला आने वाले लोगों के मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई है. मैदान में मंच बनाया गया है, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चलता रहेगा. पहले जिला प्रशासन द्वारा मेला में प्रवेश के लिए शुल्क निर्धारित किया गया था. लेकिन, अचानक जिला प्रशासन ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए प्रवेश शुल्क समाप्त कर दिया. इसकी जानकारी डीसी रविशंकर शुक्ला ने दी. उन्होंने कहा कि दुमका में पहली बार इस तरह के मेला का आयोजन हो रहा है. ज्यादा से ज्यादा लोग मेला आ सके, इसलिए प्रवेश शुल्क समाप्त कर दिया गया है.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका