दुमका(DUMKA):दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टर अन्य दिनों की भांति आज भी पीजेएमसीएच पहुंचे थे, लेकिन आज का माहौल बदला बदला सा था, ओपीडी में कुर्सी पर बैठकर मरीज को देखने के बदले जमीन पर बैठे नजर आए, हाथों में तख्ती लिए सुरक्षा की गुहार लगाते नजर आए, दुनिया इन्हें पृथ्वी का भगवान मानती है, लेकिन आज ये चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे हम भी इंसान हैं. जब तक ये नजारा देखने को मिला तब तक मरीज और उनके परिजन परेशान नजर आऐंगे कुछ घंटों के बाद सब कुछ सामान्य नजर आया.
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद में भी काम पर लौटें धरती के भगवान
दरअसल कुछ दिन पहले जमशेदपुर में एक डॉक्टर के साथ मरीज के परिजनों ने पिटाई की घटना को अंजाम दिया था. प्राथमिकी दर्ज होने के बाबजूद कल तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर आईएमए ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी. घोषणा के अनुरूप आज 22 सितंबर को जिले के सभी सरकारी और निजी चिकित्सक फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे और धरना पर बैठ गए.
जानें क्यों छलका डॉक्टरों का दर्द
वहीं ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप रहने से इलाज के लिए पहुंचे मरीज और उनके परिजन परेशान नजर आए.इमरजेंसी सेवा में मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी, लोग अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए. परिसर में अफरा तफरी का माहौल नजर आया. महज कुछ घंटों के हड़ताल के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना मिलने और वार्ता सफल होने हड़ताल वापस ले लिया गया, उसके बाद सब कुछ सामान्य हो पाया.
डॉक्टर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की उठी मांग
वहीं डॉक्टर का कहना है कि हम भी इंसान हैं, कोई डॉक्टर नहीं चाहता कि जिसकी वे जान बचाना चाहते हैं उसकी जान चली जाए. इसके बाबजूद इंसान मरते हैं, यह सत्य है, लेकिन किसी की मौत का कसूरवार चिकित्सक को ठहरा कर उसके साथ मारपीट करना कहीं से भी उचित नहीं है. इसलिए डॉक्टर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं. आज आलम यह है कि डॉक्टर भय के माहौल में अपनी सेवा देने को विवश हैं, लेकिन सरकार अभी तक इन मांगों को अनसुना कर रही है.
कुछ लोग राजनीति चमकाने के लिए देते है घटना को अंजाम
मरीज के परिजन डॉक्टर के साथ मारपीट नहीं करते बल्कि उनके साथ आने वाले गांव के छूट भैया नेता अपना राजनीति चमकाने के लिए इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं और सरकार उन नेताओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से हमारी मांगों को अनसुनी कर रही है. अगर हालात यही रहे तो आनेवाले समय में खोजने से भी डॉक्टर नहीं मिलेंगे, क्योंकि लोग अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई करवाने से किनारा कर लेंगे. डॉक्टर के साथ मारपीट की घटना को कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता. डॉक्टर भी इंसान हैं और अगर किसी इंसान से गलती होती भी है, तो उसके लिए हमारे देश मे कानून भी है. फिर भी लोग कानून को हाथ मे लेने से बाज नहीं आते.
रिपोर्ट-पंचम झा