दुमका (DUMKA): दुमका लोकसभा क्षेत्र में 1 जून को मतदान होना है. चुनाव को लेकर एक तरफ जहां प्रशासनिक गतिविधियों जोर शोर से चल रही है. वहीं राजनीतिक तपिश भी समय के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है. लगभग 16 लाख मतदाता दुमका लोकसभा क्षेत्र में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन और झमुमो प्रत्याशी नलीन सोरेन के बीच है.
सीता की बढ़ सकती है मुश्किलें
यहां ध्यान रहे कि सीता सोरेन झामुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन की बड़ी पुत्रबधू है. दुर्गा सोरेन की आकस्मिक निधन के बाद सीता राजनीति में आई और 3 टर्म जामा विधान सभा से विधायक चुनी गई. कुछ महीने पूर्व अचानक सीता सोरेन परिवार और पार्टी से बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा ने निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन से टिकट वापस लेकर सीता को दुमका लोकसभा क्षेत्र के चुनावी दंगल में उतार दिया. चुनाव जीतने के लिए ना केवल सीता सोरेन बल्कि उनकी तीनों बेटियां भी दिन रात मेहनत कर रही है. संगठन का भी साथ सीता को मिल रहा है. इसके बाबजूद शुरुवाती दौर में भाजपा में जो गुटबाजी की बात कही जा रही थी अगर उसे समाप्त नहीं किया गया होगा तो सीता की मुश्किलें बढ़ सकती है.
अग्नि परीक्षा किसकी: सीता सोरेन या डॉ लुईस मरांडी
धर्मग्रंथ में इस बात का जिक्र है कि सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था. लेकिन दुमका लोकसभा चुनाव में अग्नि परीक्षा किसकी? यह सवाल अहम है. प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद से ही पूर्व मंत्री सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ लुईस मरांडी सीता सोरेन के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है. शहर से लेकर गांव तक और दुमका से लेकर जामताड़ा तक जनसंपर्क अभियान में डॉ लुईस मरांडी परछाई की भांति सीता सोरेन के साथ खड़ी नजर आ रही है. डॉ मरांडी रघुवर सरकार में मंत्री रह चुकी है. मंत्री के रूप में पूरे राज्य का दौरा करने के साथ साथ दुमका लोक सभा क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रही. चुनाव हारने के बावजूद ना केवल दुमका बल्कि पूरे लोक सभा क्षेत्र में लोगों के दुख दर्द में शामिल होती रही. दुमका लोक सभा का संभावित प्रत्याशी मानकर डॉ लुईस मरांडी वर्षो से क्षेत्र में सक्रिय रही. पार्टी द्वारा सीता सोरेन को प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन जिस तरह डॉ लुईस मरांडी सीता को जीत दिलाने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है. उसे देख कर लगता है कि यह चुनाव डॉ लुईस मरांडी के लिए अग्नि परीक्षा है. लोक सभा का टिकट तो नहीं मिला लेकिन 6 महीने बाद ही झारखंड विधानसभा चुनाव होना है. दुमका विधानसभा से भी पार्टी में कई दावेदार हैं. उस स्थिति में पार्टी लगातार दो चुनाव हार चुकी डॉ लुईस मरांडी पर दाव लगाती है या किसी नए चेहरे को मौका देती है, बहुत कुछ यह दुमका लोक सभा चुनाव परिणाम पर निर्भर करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
रिपोर्ट. पंचम झा