टीएनपी डेस्क: चुनावी वर्ष है और ऐसे समय में राज्य सरकार सभी वर्ग और समुदाय के लिए नित नई घोषणाएं कर रही है. सरकार का यह दावा है की सभी वर्गों के हित को ध्यान में रखकर सरकार फैसला ले रही है. लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो सरकार के फैसले से नाराज हैं. वह वर्ग है झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी.
12 और 13 को काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे झासा के अधिकारी
झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले दुमका में झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आज गुरुवार से काला बिल्ला लगाकर कार्य कर रहे हैं. कल शुक्रवार को भी काला बिल्ला लगाकर ही कार्य करेंगे. संघ का आरोप है कि संघ ने लंबित मुद्दों को समय-समय पर राज्य सरकार के समक्ष रखा परंतु अब तक कुछ मांगों को छोड़कर प्रमुख मांगों पर आश्वासन ही प्राप्त हुआ. सरकार के इस उदासीन रवैया से संघ के पदाधिकारी हतोत्साहित हैं और उनमें सरकार के प्रति आक्रोश है.
झारखंड प्रशासनिक सेवा का हो पुनर्गठन लेकिन बिहार मॉडल मंजूर नहीं
संघ का कहना है कि झारखंड प्रशासनिक सेवा की सेवा पुनर्गठन के नाम पर बिहार प्रशासनिक सेवा का हू ब हू मॉडल थोपा जा रहा है. संघ झारखंड प्रशासनिक सेवा का पुनर्गठन चाहती है परंतु बिहार मॉडल पर आधारित सेवा पुनर्गठन उन्हें मंजूर नहीं. सेवा संरचना को सुधार कर उसे बेहतर बनाने के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा गैर राज्य असैनिक सेवा के पदाधिकारी को भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रोन्नति देने की अर्हता को क्षांत किया गया है. संघ इसका पुरजोर विरोध करता है और कैबिनेट के निर्णय को निरस्त करने की मांग भी करती है. इन सेवाओं के पदाधिकारी अब मात्र 17 वर्ष में भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रोन्नत हो पाएंगे जबकि राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी को यह मुकाम पाने में 25 वर्षों से भी अधिक का समय लग जाता है। इन परिस्थितियों से सेवा के पदाधिकारी स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
और भी कई वजहें है नाराजगी की
इसके अतिरिक्त भी संघ की कई मांगें है जिसमें झारखंड प्रशासनिक सेवा को प्रीमियर सेवा घोषित करते हुए संपूर्ण कैडर संरचना को पुनर्गठित किया जाए. अनुमंडल पदाधिकारी/ अवर सचिव से अन्यून स्तर के सभी चिन्हित पदों का पुनरीक्षण किया जाए एवं प्रशासनिक सेवा हेतु सभी स्तरों पर पदों को कर्णाकित किया जाए. विभाग अध्यक्ष तथा उपायुक्त के पदों को झारखंड प्रशासनिक सेवा हेतु कर्णाकित किया जाए. झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ के कार्यालय हेतु रांची में तीन एकड़ भूमि एक रुपए टोकन पर उपलब्ध कराई जाए. वर्ष में दो बार नियमित रूप से विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक की जाए ताकि प्रोन्नति हेतु योग्य पदाधिकारी को समय पर प्रोन्नति दी जा सके आदि मांगें शामिल है.
मांगों पर ठोस प्रगति नहीं हुआ तो चरणबद्ध आंदोलन की है तैयारी
संघ का कहना है कि 12 एवं 13 सितंबर 2024 को सरकार के उदासीन रवैया के खिलाफ काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे. तब तक मांगों के प्रति कोई ठोस प्रगति नहीं होने पर संघ के पदाधिकारी चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे.
देखना दिलचस्प है कि चुनावी वर्ष में सरकार झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ की नाराजगी को कितनी गंभीरता से लेती है और उसे दूर करने की दिशा में क्या कदम उठाती है.
रिपोर्ट: पंचम झा