दुमका(DUMKA):लंबे संघर्ष और बलिदान के बाद आज वो दिन आ ही गया जिसका इंतजार सदियों से सनातन धर्मबलम्बी कर रहे थे.22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी.पूरा देश रामभक्ति में डूबा हुआ है.इस उत्सवी माहौल में झारखंड की उपराजधानी दुमका के रामभक्तों का उत्साह दुगुना है, हो भी क्यों नहीं? राम मंदिर निर्माण के संघर्ष का गवाह दुमका जिला का मसानजोर स्थित गेस्ट हाउस का कमरा नम्बर 3 और 4 भी रहा है.
मसानजोर गेस्ट हाउस का कमरा नम्बर 3 और 4 आज भी देता है गवाही
आप भी सोचते होंगे कि कमरा नम्बर 3 और 4 का राम मंदिर निर्माण से क्या है वास्ता, इसे जानने के लिए आपको 3 दशक पीछे जाना होगा. राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन इसने गति तब पकड़ी जब बीजेपी ने इसे हवा दी और यह जन आंदोलन बना. लगभग 33 वर्ष पूर्व बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर रथ यात्रा निकाली थी. 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से निकली रथ यात्रा विभिन्न प्रदेशों से होते हुए 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुचनी थी, उत्तर प्रदेश से रथ बिहार की सीमा में प्रवेश किया. 22 अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान में सभा हुई. उसके बाद रात समस्तीपुर के लिए रवाना हो गया. लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का निर्णय लिया. 23 अक्टूबर को समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया.गिरफ्तारी के बाद उन्हें दुमका लाया गया और जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर मसानजोर स्थित जल संसाधन विभाग के गेस्ट हाउस में नजर बंद कर उन्हें रखा गया.कमरा नम्बर 4 में लालकृष्ण आडवाणी तो 3 में प्रमोद महाजन को नजर बंद कर रखा गया था.
पढ़ें राम मंदिर आंदोलन से जुड़े मसानजोर का इतिहास
यह खबर देश ही नहीं विदेशी मीडिया की भी सुर्खियां बनी और देखते ही देखते मसानजोर विश्व पटल पर छा गया. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. मसानजोर जाने वाली तमाम रास्ते को बंद कर दिया गया. कर्फ्यू का माहौल था. लोग डरे सहमे थे.सुरक्षा व्यवस्था ऐसी की परिंदा भी पर ना मार सके. इसके बाबजूद उस समय के उत्साही रामभक्तो की टोली ने सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए पहाड़ और नदी पार कर मसानजोर डैम तक पहुंच कर लालकृष्ण आडवाणी का अभिनंदन किया. जिसके बाद रामभक्तो की टोली ने अपनी गिरफ्तारी दी.
33 वर्षों से यह स्थल रामभक्तों की आस्था का केंद्र बिंदु भी बन गया है
वहीं उस रामभक्त की टोली का नेतृत्व करनेवाले प्रमोद विद्यार्थी ने उस वक्त की कहानी बताते हुए कहा कि समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर दुमका क्या लाया गया, एहतियातन दुमका में भी बीजेपी नेताओं की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां होने लगी. गिरफ्तार होने वाले बीजेपी नेता विनोद शर्मा बताते हैं कि कैसे प्रशासन को जेल मैन्युअल का उलंघन कर राम भक्तों को जेल में रखा गया. लाल कृष्ण आडवाणी को रिहा करने के बाद सभी रामभक्तों को जेल से रिहा किया गया.राम मंदिर निर्माण के लिए दुमका के रामभक्तों ने संघर्ष किया. मंदिर बन कर तैयार है और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. ऐसी स्थिति में लोगों की खुशी दुगुनी होना स्वाभाविक है. राम मंदिर निर्माण को लेकर शुरू किए गए आंदोलन का तार जब दुमका के मसानजोर से जुड़ा तो देखते ही देखते मसानजोर विश्व पटल पर छा गया. पर्यटक स्थल तो यह पहले से था लेकिन 33 वर्षों से यह स्थल रामभक्तों की आस्था का केंद्र बिंदु भी बन गया है, तभी तो यहां आने वाले पर्यटक गेस्ट हाउस का कमरा नम्बर 3 और 4 का दीदार करना नहीं भूलते.
रिपोर्ट-पंचम झा