दुमका(DUMKA): दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पुराने भवन के स्टोर में शनिवार को आग लग गयी थी. आग लगी या लगाई गई यह अनुसंधान का विषय है. स्थानीय लोगों का मानना है कि आग लगाई गई, जबकि स्वास्थ्य विभाग इसे असामाजिक तत्वों की करतूत करार दे रही है. जो भी हो लेकिन आग लगी कि इस घटना में लाखों रुपये मूल्य की जीवन रक्षक दवाइयां जल कर राख हो गयी. इनमें कुछ दवाईयां एक्सपायर कर चुकी थी.
उठ रहे है सवाल
आग लगी कि इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सवाल इस लिए उठ रहा है कि जब सीएचसी नए भवन में शिफ्ट कर गए थे, तो दवाई पुराने भवन के स्टोर में क्यों रखी हुई थी. आग जिन दो कमरों में लगी उसके बीच की दूरी काफी अधिक है औऱ एक रूम में दवाई रखी थी तो दूसरे रूम में फ़ाइल. कुछ दवाई तो सुरक्षित रही लेकिन तमाम फाइलें जल कर राख हो गयी.
दवाई डंप करते वीडियो हुआ वायरल
आग लगने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने काफी तेजी दिखाई. सूत्रों की मानें तो शनिवार की रात 7 पिकअप वैन में दवाई लोड कर नए अस्पताल भवन में ले जाया गया. नए अस्पताल परिसर स्थित एक गढ्ढे में तमाम दवाइयों को रात के अंधेरे में डंप कर दिया गया. कुछ मीडिया कर्मियों ने दवाई डंप करते वीडियो बना लिया. जिसके बाद दवाई डंप करते हुए वीडियो वायरल होने लगा है. इसकी जानकारी जब सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह को मिली तो आज रविवार को वे पूरे मामले की जांच करने जरमुंडी पहुचे. पुराना अस्पताल परिसर से लेकर नए अस्पताल परिसर पहुच कर मामले की जांच की, लेकिन गढ्ढे में दवाई नहीं मिली. हां, राख के कुछ अवशेष जरूर मिले है.
एक्सपायरी दवाई को लेकर क्या है प्रावधान
स्वास्थ्य केंद्रों में रखी दवाई जब एक्सपायर कर जाए तो उस दवाई का क्या होता है. इस सवाल के जबाब में सिविल सर्जन ने कहा कि एक्सपायर दवाई को कार्टन में पैक कर कार्टन पर लाल निशान लगा कर 10 वर्षो तक सुरक्षित रखना होता है.
सवाल उठता है कि जब एक्सपायर दवाई को 10 वर्षो तक सुरक्षित रखना है तो आग लगने के बाद विभाग द्वारा उसे रात के अंधेरे में गढ्ढे में क्यों फेंका गया. जब वर्षो से एक्सपायर दवाई स्टोर में रखा था तो आग लगने के बाद उसे फेंकने में विभाग ने इतनी तेजी क्यों दिखाई? फाइलें जल गई और दवाई को गढ्ढे में फेंकर कहीं सबूत नष्ट करने की तो मंशा नहीं? आखिर किस सबूत को मिटाना चाहती थी स्वास्थ्य विभाग जो मीडिया की तत्परता से कामयाब नहीं हो पाई?
सिविल सर्जन ने माना अज्ञानतावश हुई मानवीय भूल
जांच करने पहुँचे सिविल सर्जन को गढ्ढे में दवाई तो नहीं मिली लेकिन राख के अवशेष जरूर मिले, जो यह साबित करता है कि आग लगी हुई दवाई को गढ्ढे में फेंका गया था. उन्होंने माना कि अज्ञानतावश मानवीय भूल हुई है. लेकिन जब गलती का एहसास हुआ तो फेंकी हुई दवाई को गढ्ढे से निकाल कर स्टोर में रख दिया गया है. चलिए यहाँ तक तो समझा जा सकता है कि आखिरकार कब्र से निकलकर दवाई को स्टोर में जगह मिली. लेकिन यह भी तो हो सकता है कि दवाई फेंकते वीडियो मीडिया कर्मियों द्वारा बनाने के बाद जब मीडिया कर्मी वहां से वापस लौट गए तो गढ्ढे से दवाई निकाल कर कुछ दवाई दिखावे के लिए स्टोर में रखी गयी जबकि अधिकांश दवाई कहीं और कब्र में दफना दिया गया हो?
जब विभाग द्वारा थाना में आग लगने के अज्ञात कारण के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई जो साक्ष्य को क्यों हटाया गया. विभाग भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच करेगी. इस स्थिति में साक्ष्य हटाने से अनुसंधान भी तो प्रभावित हो सकता है?
सवाल कई लेकिन जवाब एक भी नहीं
सवाल उठता है कि विभाग की ऐसी क्या खामी थी जिस वजह से फाइलें जल गई, साक्ष्य को छिपाने का प्रयास किया गया. पूरा प्रकरण किसी बडे घोटाले की संकेत तो नहीं. सिविल सर्जन द्वारा इसे मानवीय भूल करार देकर कहीं विभागीय स्तर से लीपापोती का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है. सवाल कई है. जरूरत है इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की. अगर जांच होती है तो एक बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है. देखना होगा कि अब जिला प्रसासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है.
रिपोर्ट. पंचम झा