दुमका(DUMKA): दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर अखड़ा के बैनर तले दुमका प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत के लेटो गांव में ग्रामीणों की बैठक सम्पन्न हुई. बैठक में मंझी बाबा, गुडित, नायकी, जोगमंझी, प्राणिक, भोक्तो, कुडम, नायकी के साथ-साथ काफी संख्या में ग्रामीण महिला-पुरुष शरीक हुए. बैठक में विशेष रूप पर यह चर्चा हुई कि अबुवा दिसोम अबुवा राज वाली सरकार तो मिल गयी. लेकिन अब तक यहां के आदिवासियों को उसका हक और अधिकार नहीं मिला है. देश आजाद हुए 75 वर्ष और झारखण्ड बने 22 वर्ष हो गए. फिर भी आदिवासियों का उसका वाजिब हक़ नहीं मिल पाया है. आदिवासियों के नाम पर अलग झारखण्ड राज्य बना, फिर भी यहां अब तक आदिवासी हाशिये पर हैं.
पांच दिनों के त्योहार में एक ही दिन का अवकाश क्यों?
आजादी से अब तक संताल आदिवासियों को पुरे वर्ष में सिर्फ एक ही पर्व सोहराय में 13 जनवरी को एक दिन का अवकाश मिलता है. जबकि संताल आदिवासी में आधा दर्जन से भी अधिक पर्व/पूजा है और संताल आदिवासियों की जनसंख्या झारखण्ड में अधिक है. सोहराय पर्व में एक दिन के अवकाश कि शुरुआत पूर्व की रघुवर सरकार ने शुरू किया था. अबुवा दिसोम अबुवा राज वाली सरकार आने के बाद भी झारखण्ड सरकार ने सोहराय का अवकाश नहीं बढ़ाया. हिन्दू, मुसलमान, इसाई आदि धर्मो का पर्व/पूजा में सरकार तो अवकाश देती ही है उसके साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम वेतन भी देती है. लेकिन संताल आदिवासी के एक दिन सोहराय अवकाश में सरकार कर्मचारियों को कोई भी अग्रिम वेतन नहीं देती है, जो यह दर्शाता है कि संताल आदिवासियों के साथ धार्मिक रूप से भेद भाव किया जा रहा है. अखड़ा और ग्रामीणों का यह भी कहना है कि संताल आदिवासियों के महापर्व सोहराय पांच दिनों का होता है तो फिर एक ही दिन का अवकाश क्यों? सरकार महापर्व सोहराय पर कुल मिलाकर पांच दिनों का अवकाश दे और अन्य धर्म के पूजा/त्यौहार पर मिलने वाली अग्रिम वेतन के तर्ज पर संताल आदिवासियों के महापर्व सोहराय पर भी अग्रिम वेतन दे. इसके साथ-साथ गांव को चलाने वाले मंझी बाबा, गुडित, नायकी, जोगमंझी, प्राणिक, भोक्तो, कुडम, नायकी को भी अग्रिम सम्मानित राशि दिया जाए.
समर्थन नही देने वाले पार्टियों का किया जाएगा बहिष्कार
अखड़ा और ग्रामीणों ने झारखण्ड सरकार से मांग की है कि संतालों की मांग को जल्द से जल्द पूरा करें. अखड़ा और ग्रामीणों ने सर्व सम्मति से यह भी निर्णय लिया है कि जो भी राजनितिक पार्टी और नेता संताल आदिवासी की मांगो का समर्थन नहीं करेगा. उस राजनैतिक पार्टी और नेताओ का आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सामाजिक और राजनैतिक बहिष्कार किया जायेगा और जोरदार आन्दोलन किया जायेगा. इस मौके पर लुखी सोरेन, मुन्नी हांसदा, प्रेमलता मुर्मू, दुलार मुर्मू, फुलीन मार्डी, बल्के सोरेन, सुहागनी सोरेन, डेह हेम्ब्रम, सुष्मिता किस्कु, मिना हेम्ब्रम, बहा मुनि टुडू, जानकी, मकलु किस्कु, मलोती सोरेन, ललित मुर्मू, सुमि मुर्मू, सलीम मरांडी, सुनील टुडू, कैराफ़ मुर्मू, श्यामलाल मुर्मू, सूरय टुडू, जोमोल मरांडी, गणेश, कार्तिक मरांडी, धोना मरांडी, कार्तिक देहरी, जोहान टुडू, दीवान टुडू, सोनेलाल मरांडी, बाबुधन मरांडी, संजीत टुडू,अजित टुडू, रुबिकल मुर्मू, लुखिराम मरांडी, रंजीत टुडू, संग्राम किस्कु, नॉवेल मरांडी के साथ काफी संख्या में ग्रामीण महिला और पुरुष उपस्थित थे.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका