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दुमका: एनजीटी द्वारा रेलवे को लगाए गए दस करोड़ रुपए के जुर्माना का सिविल सोसायटी ने किया स्वागत, जानिए क्या है मामला

दुमका: एनजीटी द्वारा रेलवे को लगाए गए दस करोड़ रुपए के जुर्माना का सिविल सोसायटी ने किया स्वागत, जानिए क्या है मामला

दुमका(DUMKA): झारखंड की उपराजधानी दुमका के घनी आबादी वाले क्षेत्र में रेलवे द्वारा सारे नियम कानून को ताक पर रख कोयला डंपिंग यार्ड के संचालन में पर्यावरण की अनदेखी रेलवे को महंगी पड़ गई. एनजीटी ने रेलवे को 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. सिविल सोसायटी के अध्यक्ष राधेश्याम वर्मा ने इसे एनजीटी का सराहनीय क़दम करार दिया. उन्होंने कहा कि यार्ड के संचालन में रेलवे के वरिष्ठ पदाधिकारियों की भी संलिप्तता रही है, उन सभी पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

दरअसल एनजीटी पूर्वी क्षेत्र पीठ ने रेलवे को दुमका के घनी आबादी वाले क्षेत्र में कोयले के स्टॉकयार्ड के संचालन में पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) को 10 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.

27 फरवरी को अपने फैसले में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली ग्रीन ट्रिब्यूनल बेंच, जस्टिस अमित स्टालेकर (न्यायिक सदस्य) और ए. सेंथिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) ने कहा कि रेलवे साइटिंग मानदंडों की अनदेखी करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया है और पर्यावरणीय मानदंडों का पालन नहीं करने और स्टॉकयार्ड (पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) के उपयोगकर्ता से वसूल करने की स्वतंत्रता के साथ दो महीने के भीतर रेलवे द्वारा पहली बार में मुआवजा (10 करोड़ रुपये) जमा करने का निर्देश दिया.

आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि भुगतान नहीं किया जाता है, तो दी गई सहमति (स्थापना के लिए सहमति-सीटीई और संचालन-सीटीओ के लिए सहमति) को रद्द किया जा सकता है और स्टॉकयार्ड को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

पहले से चल रहा था मामला

दुमका के निवासियों के लिए केस लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय उपाध्याय ने दावा किया कि वार्ड नंबर 1 के रसिकपुर के घनी आबादी वाले इलाके में हरित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए एक रेलवे कोयला स्टॉकयार्ड स्थापित किया गया था. गौरतलब है कि इस संबंध में एनजीटी में पूर्व से ही मामला चल रहा था बावजूद रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता से पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही थी .

दुमका रेलवे स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में कोयला डंपिंग यार्ड से होने वाले प्रदुषण से लोग त्रस्त हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ सिविल सोसायटी, दुमका ने आंदोलन कर रेलवे को आगाह किया, लेकिन अधिकारियों ने मनमानी नहीं छोड़ी. घनी आबादी वाले क्षेत्र में कोयला डंपिंग यार्ड की मंजूरी देना ही सवालिया निशान लगाता है और साथ ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय - सह- प्रयोगशाला दुधानी दुमका जिनके द्वारा एनओसी दिया गया, उनके पदाधिकारीगण भी दोषी है.

रेलवे स्टेशन परिसर को आबादी से दूर करे

सिविल सोसायटी दुमका का मानना है कि एनजीटी के जुर्माना करने मात्र से यहां के आमजन को लाभ नहीं मिलेगा. जब तक रेलवे स्टेशन परिसर व घनी आबादी से दूर जहां जनजीवन प्रभावित नहीं हो, वैसे स्थान पर कोयले के स्टाकयार्ड और लोडींग को व्यवस्थित करें, नहीं तो सिविल सोसायटी दुमका आमजनों से विचार विमर्श कर उसके खिलाफ आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगा.

रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका

Published at:11 Mar 2023 07:47 PM (IST)
Tags:Dumka Dumka Civil society welcomed the fine of ten crore rupeesfine of ten crore rupees imposed by NGT on Railways
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