दुमका(Dumka): आसनसोल रेल डिवीज़न के डीआरएम परमानंद शर्मा दुमका रेलवे स्टेशन पहुंचे. रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से परिसर का निरीक्षण किया. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर रेल मंत्री ने सभी स्टेशन पर यात्री सुविधा बढ़ाने का निर्णय लिया है. जिसे अमृत भारत स्टेशन स्कीम नाम दिया गया है. दुमका रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए और क्या सुविधा बढ़ाई जाए, उसी को लेकर निरीक्षण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां वेटिंग हॉल और रिटायरिंग रूम नहीं है. इसके अलावे शौचालय की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. जिसे शीघ्र बहाल किया जाएगा ताकि यात्रियों को कोई परेशानी ना हो.
किसी भी तरह के गाइडलाइन का नहीं किया गया उल्लंघन
कुछ दिन पूर्व यह खबर आयी थी कि एनजीटी ने दुमका रेलवे स्टेशन परिसर में संचालित कोल डंपिंग यार्ड में पर्यावरण प्रदूषण के मापदंडों का पालन नहीं करने पर रेलवे पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इस मुद्दे पर डीआरएम ने अपनी सफाई दी. उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किसी भी तरह के गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं हुआ है, बल्कि यह कंफ्यूजन फैलाया जा रहा है कि एनजीटी ने 10 करोड़ का जुर्माना रेलवे पर लगाया है. उन्होंने कहा कि एनजीटी में पिछली सुनवाई सितंबर 2022 में हुई थी. उस समय रेलवे द्वारा जो शपथ पत्र दिया गया था कि क्या-क्या कार्य करना है, उसी के आधार पर एनजीटी का यह जजमेंट आया है कि अगर रेलवे या कार्यकारी एजेंसी अपना काम नहीं कर पा रही है तो ₹10 करोड़ झारखंड पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के पास जमा करें और झारखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अपनी निगरानी में प्रदूषण नियंत्रण के कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लगभग 90% कार्य प्रदूषण नियंत्रण को लेकर हो चुका है. एक मुख्य कार्य बाकी है जो नहीं हो पाया वह है वृक्षारोपण का. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष वर्षा कम होने के कारण जो पौधे लगाए गए थे उसे भी नहीं बचाया जा सका. इस वर्ष वृक्षारोपण पर रेलवे का पूरा फोकस रहेगा. उन्होंने कहा कि डंपिंग यार्ड को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं है.
क्षेत्र के लोग कोयला से उठते धूलकण से परेशान
यह सही है कि स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद दुमका रेलवे स्टेशन परिसर से कोल डंपिंग यार्ड की शुरुआत की गई. इसके चालू होते ही ना केवल रेलवे स्टेशन परिसर बल्कि रसिकपुर जैसे सघन अधिवास वाले क्षेत्र के लोग कोयला से उठते धूलकण से परेशान हैं. इसको लेकर सिविल सोसाइटी द्वारा चरणबद्ध आंदोलन भी किया जा रहा है. इसके बावजूद रेलवे इसे विकास से जोड़कर देख रहा है. कहीं ऐसा ना हो कि आने वाले समय मे यह जन आंदोलन का रूप ले.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका