देवघर(DEOGHAR):रक्तदान महादान कहलाता है. आपका स्वेच्छा से दिया गया रक्त किसी की जिंदगी बचाने में अहम योगदान रहता है. लेकिन इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है. देवघर की बात करें तो यहां 90 प्रतिशत लोग रक्त देकर रक्त लेते हैं. मात्र 10 प्रतिशत लोग ही स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं. ऐसे में रक्तदान शिविर का लगातार आयोजन होना चाहिए. कुछ समाज सेवी या संस्था इस ओर आगे आई है. इसी के तहत रेड क्रॉस सोसाइटी और एम्स के संयुक्त प्रयास से आज रक्तदाता दिवस पर एम्स परिसर में रक्तदान शिविर लगाकर ब्लड संग्रह किया गया.
महज 10 प्रतिशत लोग कर रहे है रक्तदान
देवघर ब्लड सेंटर से हर माह लगभग 1100 यूनिट खून जरूरतमंद लोगों को दिया जाता है. इनमें से 90 प्रतिशत वैसे है, जिनको रक्त की आवश्यकता होने पर डोनर के माध्यम से खून देकर ब्लड सेंटर से अपने मरीज के लिए खून लेते है. जब जरूरत होती है, तब लोग जागरूक होते हैं. इस नेक काम के प्रति अगर लोग जागरूक नहीं होंगे तो वो दिन दूर नहीं जब रेयर ग्रुप वाले खून की आवश्यकता होगी और रक्तदाता कोई नहीं मिलेगा. जरूरत है आमजनों को एक मुहिम के तहत स्वेच्छा से रक्तदान करने की.
रक्तदान कर दें जरुरतमंदों को जीवन दान
देवघर का जिस प्रकार से विकास हो रहा है. यहां सिर्फ देवघर जिला ही नहीं बल्कि बिहार के बांका और जमुई जिला के मरीज भी यहां अपना इलाज सरकारी या निजी क्लीनिक में करवाते हैं. सरकारी अस्पताल की अपेक्षा निजी अस्पताल के मरीजों को खून की आवश्यकता ज्यादा होती है. लेकिन इन निजी नर्सिंग होम वाले रक्तदान शिविर लगाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।लगातार निजी नर्सिंग होम के संचालकों से शिविर लगाने का आग्रह भी किया जाता है. ऐसे में खून की कमी को देखते हुए कुछ सामाजिक संस्था और समाज सेवी समय-समय पर रक्तदान शिविर लगाकर कुछ यूनिट रक्त संग्रह करते है.
रक्तदान के लिए दुसरों को भी करें जागरूक
देवघर में इन दिनों रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से अन्य संस्था के साथ मिलकर रक्तदान शिविर लगातार लगाया जा रहा है. इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के देवघर जिला अध्यक्ष जीतेश राजपाल ने बताया कि आज 100 यूनिट रक्त संग्रह का लक्ष्य निर्धारित है. खासकर रक्त की जरूरत देवघर में बढ़ रही थैलेसेमिया और कैंसर मरीजों को है. इन्हें हर हाल में रक्त उपलब्ध कराना हमलोगों का कर्तव्य है.
सरकारी और निजी अस्पतालों को दिए गए ब्लड का आंकड़ा
इस साल जनवरी से लेकर मई तक के आंकड़े यह बतलाते हैं कि देवघर में सरकारी से अधिक निजी अस्पतालों के मरीजों को रक्त की आवश्यकता पड़ी है. सरकारी अस्पताल को 304 यूनिट जबकि निजी को 532 यूनिट रक्त दिया गया है. उसी तरह फरवरी में 303 सरकारी को और 521 यूनिट निजी अस्पताल को. मार्च की बात करें तो सरकारी में 270 यूनिट जबकि निजी अस्पताल में 658 यूनिट ब्लड दिया गया है. अप्रैल माह में सरकारी अस्पताल को 340 और निजी को 769 यूनिट दिया गया. अब मई माह की बात करें तो सरकारी अस्पताल में इलाजरत मरीज को 401 यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ी. जबकि निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों को 768 यूनिट ब्लड देवघर ब्लड सेंटर से उपलब्ध कराया गया.
निजी अस्पतालों पर नकेल कसने की आवश्यकता
देवघर में दिन प्रतिदिन सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ब्लड की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन इन निजी अस्पतालों की ओर से क्यों नहीं जागरूक कर रक्तदान शिविर लगाया जाता है. ये समझ से परे है. ऐसे में निजी अस्पतालों पर इस ओर नकेल कसने की आवश्यकता है. ताकि ये भी बढ़-चढ़कर रक्तदान शिविर का आयोजन कर भारी संख्या ने रक्त संग्रह में योगदान दे सके.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा