रांची(RANCHI): हाल के दिनों में कुछ ऐसे हार्ट संबंधित मामले आए हैं जिसके बाद स्वास्थ्य की दुनिया में बहुत हलचल मच गई थी. अचानक नाचते हुए किसी की मौत हो गई. मॉर्निंग वाक में गए लोग गिरे और मर गए. दिल्ली मुंबई मेरठ सहित भारत के लगभग सभी शहरों से हृदय घात से मौत और वो भी अचानक काम करते चलते फिरते की तरह की घटना बहुत तेजी से सामने आ रही. ऐसे मामलों में बढ़ोतरी कोरोना के बाद देखने को मिली है. मशहूर एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला भी जिम में वर्क आउट करते हुए गिरे और उनकी मौत हो गई. अब्दुल कलम भाषण देते हुए गिरे और मौत हो गई. मशहूर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव भी गिरे और हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई, ये तो कुछ नाम है ऐसे नामों से लिस्ट भरे हुए हैं जिनकी मौत कार्डियक अरेस्ट से कुछ मिनटों में ही हो गई. आज हम आपके लिए लाएं हैं हृदय की पूरी जानकारी. यदि समय रहते दिल की बात को सुन लिया जाए तो दिल के धोखा देने की संभावना घट जाती है.
जानिए क्या होता है कार्डियक अरेस्ट, दिल का दौरा और हार्ट फेलियर
कार्डियक अरेस्ट, दिल का दौरा और हार्ट फेलियर सुनने में भले ही एक से लगते हों, लेकिन इन तीनों का मतलब बिल्कुल अलग है. यही वजह है कि इन तीनों में फर्क समझना बेहद ज़रूरी है, ताकि वक्त रहते इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जान बचाई जा सके. तो आइए इन तीनों में फर्क को जानें.
कार्डियक अरेस्ट
कार्डियक अरेस्ट का मतलब है, दिल का अचानक धड़कना बंद कर देना. यह किसी के साथ भी हो सकता है और इसके पीछे कई तरह की वजहें भी हो सकती हैं, जिसमें दिल का दौरा भी शामिल है. यह एक मेडिकल एमर्जेंसी होती है जिसमें फौरन CPR करने की ज़रूरत होती है. हृदय गति का अचानक रूक जाना कार्डियक अरेस्ट कहलाता है. यह अक्सर बिना किसी चेतावनी के और अचानक होता है. असल में जब दिल धड़कता है तो उससे विद्युत संवेग पैदा होता है. इसी विद्युत संवेग की मदद से शरीर में रक्त का संचार होता है. कार्डियक अरेस्ट से पहले यह रक्त संचार अनियमित हो जाता है. कभी तेज, कभी धीमी गति होने के कारण यह फेफड़ों, मस्तिष्क तथा अन्य अंगों तक ऑक्सीजन युक्त ब्लड की सप्लाई नहीं कर पाता. जिससे ये हिस्से काम करना बंद कर देते हैं और मरीज अचेत हो जाता है. जब दिल की पंपिंग क्रिया बाधित होती है तब हमारा हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों में रक्त पंप नहीं कर पाता या अक्षम हो जाता है. धीरे धीरे, व्यक्ति चेतना खोना आरम्भ कर देता है और उसकी पल्स या नाड़ी बंद हो जाती है. यह पूरी स्थिति कार्डियक अरेस्ट कहलाती है. अगर कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति को इलाज नहीं मिलता है तो उसकी कुछ ही मिनटों के भीतर मौत हो सकती है.
यदि कार्डियक अरेस्ट के होते ही प्राथमिक उपचार दे दिया जाये तो उचित चिकित्सा देखभाल के साथ, पीड़ित का जीवन बचाना संभव है. इसके प्राथमिक चिकित्सा के लिए कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) दिया जाता है, जिसमें डिफाइब्रिलेटर का उपयोग किया जाता है- या इसके अलावा केवल छाती को दोनों हाथों से तेज़ी से दवाने से भी पीड़ित के जीवन की रक्षा की जा सकती है ऐसा करने से चिकित्सा सहायता के आने तक पीड़ित के जीवित रहने की संभावना में सुधार किया जा सकता है.
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
हालांकि कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) के लक्षण पहले से पहचान पाना मुश्किल होता है. पर हाल ही में CMAJ (कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल) की समीक्षा में पाया गया कि जिन एथलीट्स को कार्डियक अरेस्टस आया उनमें से 29 फीसदी ऐसे थे जिनमें पहले से ही ये लक्षण देखे गए थे. एथलीट्स में कार्डियक अरेस्टन के बाद सर्वाइवल रेट सबसे ज्यानदा है. इसकी वजह यही है कि उन लक्षणों को पहचान कर उन्हेंं तुरंत बचाव सहायता मुहैया करवाई गई. कार्डियक अरेस्ट होने पर व्यक्ति को सीने जलन, सांस लेने में दिक्कत, सीने में तेज़ दर्द और चक्कर जैसे लक्षणों का अनुभव होता है. इस दौरान पल्स और ब्लड प्रेशर एकदम रुक जाता है, इसलिए मरीज़ की जान बचाना काफी मुश्किल होता है. इसलिए फौरन मेडिकल मदद की ज़रूरत पड़ती है.
हार्ट फेलियर
हार्ट फेलियर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की सेहत को नुकसान पहुंचता है और वह कमज़ोर पड़ जाता है. यानी दिल शरीर में पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन पम्प नहीं कर पाता. इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें सबसे आम है दिल का दौरा या फिर हाइपरटेंशन से होने वाला नुकसान.
हार्ट फेलियर के लक्षण
हार्ट फेलियर में व्यक्ति को सांस फूलना, थकावट, पैरों और एड़ियों में सूजन और पेट के फूलने का अनुभव होता है. हार्ट फेलियर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसका पता जल्दी चल जाए, तो लाइफस्टाइल में बदलाव और सही ट्रीटमेंट की मदद से व्यक्ति आम और एक्टिव ज़िंदगी जी सकता है.
दिल का दौरा
दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों में खून का प्रवाह रुक जाता है. बिना ऑक्सीजन के दिल का वह हिस्सा मरने लगता है. खून कितनी देर रुका रहा, मरीज़ की जान बचेगी या नहीं इसी पर निर्भर करता है. नुकसान हल्का भी हो सकता है और गंभीर भी- यहां तक कि घातक भी. आपको जितनी जल्दी हार्ट अटैक का पता चलेगा, उतना ही मरीज़ के जीवित रहने की संभावना बढ़ेगी.
हार्ट अटैक के लक्षण
सीने में दर्द के साथ पसीना आना, कंधे, हाथ, जबड़े में दर्द होना या फिर बेचैनी महसूस होना, सभी वॉर्निंग साइन्स हैं और ऐसे में मरीज़ को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए.
जानिए क्या अंतर है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में
बहुत से लोग अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को समानार्थी समझ लेते हैं, परन्तु इन दोनों स्थितियों में काफी अंतर होता है. कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते हैं परन्तु दिल का दौरा पड़ने का मतलब होता है हार्ट अटैक आना. दिल का दौरा तब होता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, और कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब मनुष्य के हृदय में अचानक सूचनाओं का आदान प्रदान बिगड़ जाता है या ये कार्य करना बन्द कर देता है और अचानक धड़कना बंद कर देता है.
क्या होता है हार्ट अटैक या दिल का दौरा?
हार्ट अटैक तब होता है जब एक अवरुद्ध धमनी या ब्लॉक्ड आर्टरी ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय के किसी हिस्से तक पहुंचने से रोकती है. यदि अवरुद्ध धमनी को समय से फिर से नहीं खोला जाता या सही नहीं किया जाता है, तो उस आर्टरी से सामान्य रूप से पोषित हृदय का वह हिस्सा मरना शुरू हो जाता है, और व्यक्ति हार्ट अटैक का शिकार हो जाता है. कोई व्यक्ति इलाज कराने में जितना समय लेगा, उसे उतना ही अधिक नुकसान होगा. हार्ट अटैक के लक्षण तत्काल और तीव्र हो सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर इसके लक्षण धीरे-धीरे दिखने शुरू होते हैं और हार्ट अटैक से पहले कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों तक बने रहते हैं. हार्ट अटैक में कार्डियक अरेस्ट की तरह अचानक हृदय गति नहीं रूकती. यदि इसके लक्षणों की बात की जाये तो यह महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा भिन्न हो सकते हैं.
जानिए कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक से कैसे अलग होता
यद्धपि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों ही हृदय सम्बन्धित स्थितियां हैं किन्तु ये दोनों ही अलग अलग होती हैं जिन्हें बहुत बार लोग भ्रम वश एक समान समझ लेते हैं किन्तु इन दोनों के बीच अंतर होता है. हार्ट अटैक को हृदय के किसी क्षेत्र में अपर्याप्त रक्त प्रवाह के कारण हृदय की मांसपेशियों के हिस्से को नुकसान के रूप में परिभाषित किया जाता है. ज्यादातर, यह हृदय की धमनियों में रुकावट के कारण होता है, जिसे टाइप 1 हार्ट अटैक के रूप में जाना जाता है. इस तरह की रुकावटें आमतौर पर तब होती हैं जब कोलेस्ट्रॉल से भरपूर पट्टिका धमनी के फटने का कारण बनती हैं. इसमें ब्लड का थक्का बन जाता है, और वेसल्स को बाधित करता है. हार्ट अटैक एक प्रकार की प्लंबिंग समस्या (रक्त हृदय के किसी क्षेत्र तक नहीं पहुँच पाता) है, जबकि कार्डियक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम (विद्युत संवेग समस्या) है. कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी होती है, जिससे यह अचानक तेजी से और बुरी तरह से धड़कने लगता है, या पूरी तरह से धड़कना बंद कर देता है. इस स्थिति में रक्त के मस्तिष्क, फेफड़े, और अन्य अंगों में संचार न होने के कारण, व्यक्ति हांफने लगता है और सांस लेना बंद कर देता है और कुछ ही सेकंड में अनुत्तरदायी हो जाता है. हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट के होने का एक आम कारण होता है. हार्ट अटैक से कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है.
जानिए कैसे करें प्राथमिक उपचार
यह जानना बहुत आवश्यक है कि यदि आपके आस पास किसी को अटैक आए तो आप क्या करें. यदि आपको या आपके आस-पास के किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक के लक्षण या कार्डियक अरेस्ट आए तो तुरंत अस्पताल में कॉल करें. हार्ट अटैक की स्थिति में यदि आप ईएमएस (एमर्जेन्सी मेडिकल सर्विस) को कॉल करते हैं तो यह तुरंत पीड़ित को आपातकालीन कक्ष में ले जाने का सबसे अच्छा व उत्तम विकल्प है. आपातकालीन चिकित्सा सेवा (ईएमएस) के कर्मचारी आते ही इलाज शुरू कर सकते हैं और अस्पताल तक पहुँचने से पहले प्राथमिक उपचार दिया जा सकता है. ईएमएस स्टाफ को किसी ऐसे व्यक्ति को पुनर्जीवित करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है जिसके हृदय ने काम करना बंद कर दिया हो. सीपीआर (CPR) तकनीक का प्रयोग करके, आप पीड़ित के जीवित रहने की संभावना को दोगुना या तिगुना कर सकते हैं. बता दें सीपीआर का पूरा नाम कार्डियोपल्मोनरी रेसुसाइटेशन (पुनर्जीवन) है, जो एक आपातकालीन जीवन-रक्षक प्रक्रिया है. इसमें मुख्य रूप से पीड़ित को मुंह से मुंह सांस दी जाती है और सीने को दबाया जाता है. इस प्रकार की प्राथमिक चिकित्सा कार्डियक अरेस्ट और डूबने के मामलों में बहुत प्रभावी होती है, जहां व्यक्ति बेहोश होता है और पीड़ित को सांस लेने में परेशानी होती है या रक्त संचार नहीं होता है. कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में अगर कुछ मिनटों में पीड़ित का इलाज हो जाए तो ज्यादातर मामलों में पीड़ित की जान बचाई जा सकती है.
हार्ट अटैक के लक्षण
छाती में असहज दबाव, जकड़न और दर्द ,हाथ, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द के साथ अन्य असहज संवेदनाएँ, साँस लेने में तकलीफ होना, अचानक जी मिचलना या उल्टी आना, सिर भारी होना या चक्कर आना . इस स्थिति में भी सबसे पहले, आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को कॉल करें. फिर, यदि हो सके तो एक स्वचालित बाहरी डिफाइब्रिलेटर का उपयोग करके पीड़ित को प्राथमिक उपचार दें. इसके अलावा तुरंत सीपीआर करना शुरू करें और तब तक यह करते रहें जब तक पेशेवर आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं न आ जाएं. सीपीआर (CPR) तकनीक का प्रयोग करके, आप पीड़ित के जीवित रहने की संभावना को दोगुना या तिगुना कर सकते हैं.