धनबाद(DHANBAD) | झारखंड में विधानसभा चुनाव अगले साल प्रस्तावित है. लेकिन अब राजद में कुछ पाने की सुगबुगाहट बढ़ी है. 2019 के बाद झारखंड में कुल छह उपचुनाव हुए, जिनमें पांच में गठबंधन ने बाजी मारी ,जबकि रामगढ़ सीट एनडीए को मिली. डुमरी चुनाव में विजय के बाद उत्साहित गठबंधन दल के नेता रिचार्ज हो गए है. उधर, झारखंड के राजद कार्यकर्ता इस बात को लेकर मायूस हैं कि उन्हें झारखंड में गठबंधन सरकार का लाभ नहीं मिला. अब तक बोर्ड -निगम से दूर है. अब वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मिलेंगे और उनसे अपनी बात कहेंगे. राजद नेताओं को उम्मीद थी कि बोर्ड -निगम में उनकी भी हिस्सेदारी होगी. लेकिन अब तक आधा दर्जन से अधिक बोर्ड, निगम और आयोग का गठन हो जाने के बाद भी राजद के हाथ कुछ नहीं लगा है. इनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस को ही हिस्सेदारी मिली है. राजद पार्टी में इसको लेकर चर्चा तेज है. पार्टी के नेताओं ने तय किया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत अन्य केंद्रीय नेताओं से मिलकर अपनी बात रखेंगे.
राजद नेता अपने पक्ष में दे रहे तर्क
राजद नेताओं का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा गया. इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस व राजद के बीच सीटों का बंटवारा हुआ. हालांकि राजद से सिर्फ एक विधायक सत्यानंद भोक्ता चुनाव जीत पाए, इन्हें हेमंत सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली. लेकिन उसके बाद बोर्ड, निगम में राजद को कोई हिस्सेदारी नहीं दी गई है. झारखंड में अभी भी बोर्ड, निगम और आयोग के गठन की प्रक्रिया जारी है. महिला आयोग, राज्य सूचना आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग, लोकायुक्त, झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, झारखंड राज्य समाज कल्याण बोर्ड, झारखंड राज्य खनिज विकास निगम, रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार सहित अन्य का गठन एक महीने के भीतर होने जा रहा है. सरकार ने खाली पड़े बोर्ड- निगम के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की ओर से नाम भी भेजे जा चुके है.
विधानसभा में सबसे बढ़ी पार्टी झमुमो है
झारखंड में अगर विधायकों की बात करें तो विधायक प्रदीप यादव को शामिल करने पर कांग्रेस के पास फिलहाल 17 विधायक है. झामुमो के पास अब 30 सीटें हो गई है. आजसू के पास तीन सीट है जबकि सीपीआई माले ,एनसीपी , राजद के पास एक-एक विधायक है. निर्दलीय विधायकों की संख्या दो है. भाजपा की बात करें तो बाबूलाल मरांडी को शामिल करने पर विधायकों की संख्या 26 होती है. झारखंड में एक मनोनीत सदस्य के साथ कुल 82 विधानसभा सदस्य है. विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा है. इधर, डुमरी चुनाव का परिणाम कम से कम झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद को बढ़ा दिया है. 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू का गठबंधन नहीं था. लेकिन रामगढ़ के बाद डुमरी उपचुनाव में भाजपा और आजसू एकजुट होकर चुनाव लाडे. रामगढ़ में एनडीए को जीत मिली थी और डुमरी चुनाव में इंडिया गठबंधन चुनाव जीतकर झारखंड के सियासी हलकों में एक नई चर्चा की शुरुआत कर दी है. 2024 में सीटों के बंटवारे से भी जोड़ कर इसकी चर्चा की जा रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो