धनबाद(DHANBAD): नर्सरी और एलकेजी के बच्चे किताब -कॉपी लेकर स्कूल नहीं जाएंगे. जी हां ,डिनोबिली स्कूल, सीएमआरआई(धनबाद) में सत्र 2024- 2025 में नामांकन लेने वाले नर्सरी व एलकेजी के बच्चों के लिए यह सुविधा दी गई है. बच्चे किताब कॉपी घर में ही रखेंगे, स्कूल बैग में सिर्फ टिफिन व वाटर बोतल होंगे. बच्चों को स्मार्ट क्लास रूम में ई - बुक्स के माध्यम से पढ़ाया जाएगा. स्कूल में प्रत्येक दिन बच्चों को वर्कशीट दिया जाएगा. जिसमें बच्चों से स्कूल वर्क कराया जाएगा. यह जानकारी प्राचार्य ने दी है. प्राचार्य का कहना है कि छोटे बच्चों पर बैग का अधिक बोझ नहीं हो और पढ़ाई भी हो ,इस कारण इसकी शुरुआत की जा रही है. शुरुआती कुछ महीनो में सोशल ट्रेनिंग दी जाएगी, इसके बाद जून- जुलाई से बच्चे लिखना शुरू करेंगे. यह कहना अप्रासंगिक होगा कि आज की जो पढ़ाई व्यवस्था है, उसमें छोटे-छोटे बच्चे को भारी भरकम बस्ता लेकर स्कूल जाना पड़ता है.
गर्मी में तो और होती है परेशानी
गर्मी के दिनों में तो बच्चे पसीने से तर बतर हो जाते है. फिर भी मोटा बस्ता ढोते है. बच्चों का यह दर्द अभिभावक को भी पीड़ित करता है लेकिन बच्चों के भविष्य को लेकर उन्हें बच्चों के इस तकलीफ की अनदेखी करनी पड़ती है. एक अनुमान के अनुसार नर्सरी, यूकेजी में ही बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित, ड्राइंग आदि विषयों की कॉपी- किताब ढोनी होती है. इसके साथ पानी का बोतल भी होता है. एक अनुमान के अनुसार इनका वजन लगभग 5 किलो का हो जाता है. इस तरह कंधों पर बोझ ढोने से उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है. अभिभावक सुबह तो खुद बस्ता लड़कर कर बच्चों को बस स्टॉप तक छोड़ते है. लेकिन स्कूल जाने से लेकर वापस लौटने तक बस्ता बच्चों के कंधे पर ही लटकना है.
कंधे पर अधिक बोझ छीन लेती है मासूमियत
बच्चों पर अत्यधिक बोझ चाहे वह पढ़ाई का हो या किसी और कंपटीशन का, सबसे पहले मासूमियत और बचपन यह छीन लेता है. भविष्य की चिंता कम उम्र में ही. ना चाहते हुए बच्चों पर हावी हो जाती है. खेल जैसी आवश्यक एक्टिविटी से धीरे-धीरे बच्चे कटने लगते है. इसका परिणाम होता है कि बच्चों का यह तनाव और घबराहट बाद में उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना देती है. शारीरिक एक्टिविटीज कम होने से बीमारियां पैदा हो सकती है. बच्चे कुंठित भी हो सकते है. यह स्वीकार करना होगा कि सभी बच्चों की क्षमता अलग-अलग होती है. जरूरी नहीं की, सभी पढ़ाई में तेज हो, किसी की दूसरे क्षेत्र में भी रुचि हो सकती है. इसलिए बच्चों के अनुसार उनकी तैयारी होनी चाहिए, ना की अभिभावकों के निर्णय के अनुसार, इधर धनबाद डिनोबिली स्कूल ने जो पहल की है , यह एक अच्छी पहल है, इसे बच्चों की सेहत पर भी सकारात्मक असर होगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो