धनबाद(DHANBAD): थान हार जाएंगे लेकिन गज नहीं हारेंगे. यह एक बहुत ही पुरानी कहावत है लेकिन लगता है कि झारखंड में सरकारी काम इसी कहावत के अनुसार हो रहा है. धनबाद के SNMMCH में 19 मई से हड़ताल शुरू हुई है. आज 24 तारीख हो गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. ऐसी बात नहीं है कि सरकार या निर्णय लेने वाले अधिकारियों तक यह जानकारी नहीं पहुंची है. निश्चित रूप से पहुंच गई है. कांग्रेस नेताओं ने 3 दिन पहले ही कहा था कि मंत्री को इस से अवगत करा दिया गया है और मंत्री ने कहा है कि किसी को नहीं निकाला जाएगा. लेकिन हड़ताल पर गए कर्मचारी लिखित मांग रहे थे और इस कारण ही मामला अटक गया और हड़ताल जारी है.
अस्पताल के 400 से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर
सरकार गरीबों के इलाज के लिए कई योजनाएं लेकर आ रही हैं, लेकिन सारी योजनाएं अस्पताल के दरवाजे तक पहुंचते-पहुंचते ध्वस्त हो जा रही हैं. धनबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के मुख्य गेट पर अगर आप घंटे 2 घंटे खड़े रहे तो आपका पत्थर दिल भी पसीज जाएगा. रोगियों को क्या क्या परेशानी हो रही है, कैसे कैसे इलाज हो रहा है, यह देखकर किसी के भी आंखों में आंसू आ जाएंगे. अस्पताल के 400 से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं, हालांकि जिन को हटाने की सूची तैयार की गई है,वह निर्गत नहीं हुई है लेकिन हड़ताल भी खत्म नहीं हुई है. आउटसोर्स कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं, इस वजह से मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ रही है. एंबुलेंस से आ रहे मरीजों को उतारने वाला कोई नहीं है. स्ट्रेचर लाने और मरीज को इलाज के लिए ले जाने का काम परिजन लगातार कई दिनों से कर रहे हैं. वार्ड में भर्ती मरीजों की ड्रेसिंग नहीं हो रही है. अगर किसी को इंफेक्शन हो जाए और उसका अंग काटना पड़े तो आखिर इसके लिए कौन जिम्मेवार होगा. कोई पूछेगा कि सरकार आखिर किस दिन का इंतजार कर रही है. निर्णय लेने में इतना विलंब क्यों हो रहा है .ऐसी बात नहीं है कि सरकार की सिस्टम काम नहीं कर रही होगी.
धनबाद का यह सरकारी अस्पताल सिर्फ कोयलांचल के मरीजों के लिए ही नहीं है बल्कि बगल के जिलों के मरीज भी धनबाद आते हैं. अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ जुटती है. बावजूद पिछले 19 तारीख से हड़ताल जारी है. हड़तालियों के समर्थन में सांसद, विधायक से लेकर क्षेत्रीय नेता भी पहुंच रहे हैं. लगातार मीडिया में हड़ताल की बातें आ रही है. हड़ताल से परेशानियों का जिक्र हो रहा है बावजूद कोई नतीजा नहीं निकलना कई सवालों को जन्म दे रहा है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो