धनबाद(DHANBAD): धनबाद की "माटी "ने शनिवार को चर्चित कवि कुमार विश्वास को सुना तो रविवार को पद्मश्री कैलाश खेर ने अपने गानों से धनबाद की ,"माटी" को धन्य धन्य कर दिया. कहा कि धनबाद बहुत प्यारा शहर है और यहां के लोग भी उतने ही प्यारे हैं. धनबाद तो खनिज की धरती है. खनिज को खोदो तो पैसा निकलता है. जहां ऐसी प्राकृतिक संपदा हो, वहां भोले बसते है. और भोले के भक्त भी बहुत भोले होते हैं. ऐसे में भोले लोगों पर प्यार लुटाने आया हूं. मैंने निश्चय किया है कि देश के छोटे-छोटे शहरों और गांव में जाकर गाऊंगा नहीं तो गीत संगीत का विकाश नहीं होगा.
कैलाश खेर के गानों पर झूमे धनबाद के लोग
साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन कैलाश खेर संगीत संध्या का आयोजन किया गया था. कैलाश खेर ने भी धनबाद के दर्शकों को निराश नहीं किया. अपने गानों पर धनबाद को खूब झुमाया. अपने डेढ़ घंटे की प्रस्तुति में धनबाद के लोगों को अपना दीवाना बना लिया. बाहुबली फिल्म में कैलाश खेर द्वारा गया गया गाना, जय जय कारा.. गाना का बुखार दर्शकों के सिर चढ़कर बोला. जब कैलाश खेर गाना शुरू किया तो पूरा पंडाल झूम उठा. दर्शन भी साथ देते देखे गए. तेरे नाम पर जी लूं ..तेरे नाम पर मर जाऊं... पर सबसे अधिक दर्शकों ने प्यार लुटाया.
कैलाश खेर ने धनबाद के व्यंजन की तारीफ की
कैलाश खेर के पहले धनबाद के गायक रचित अग्रवाल ने अपने गानों से दर्शकों का दिल जीतने का भरपूर प्रयास किया. कैलाश खेर ने धनबाद के व्यंजन की तारीफ की. कहा कि यहां मुझे घर जैसा खाना खाने को मिला. वास्तव में छोटे जगह पर मिट्टी में खुशबू मिलती है. भिंडी की भुजिया, आलू की सब्जी यही खाने को मिलती है. बड़े शहर वालों को यह सब कहां नसीब होता. जो भी हो धनबाद की "माटी" ने दो दिनों तक दो बड़े कलाकारों को सुना और भरपूर आनंद उठाया.
अपराधिक घटनाओं से हटकर दो दिनों तक धनबाद को मिली अलग पहचान
अपराध और अपराधियों की बात से अलग हटकर दो दिनों तक धनबाद की एक अलग पहचान बनी. वैसे कहा जाता है कि धनबाद पर लक्ष्मी और सरस्वती की बराबर बराबर कृपा है. कुछ मुट्ठी भर लोगों के कारण धनबाद बदनाम होता रहा है. यहां पहले भी अच्छे लोग थे और आज भी हैं. लेकिन अच्छे लोग अपनी गतिविधियों को समेट लिया है, नतीजा है कि गलत लोगों की करतूत धनबाद पर भारी पड़ती दिख रही है.
रिपोर्ट; धनबाद ब्यूरो