धनबाद(DHANBAD):देश की कोयला राजधानी के साथ-साथ झारखंड की आर्थिक राजधानी भी धनबाद को कहा जाता है. लेकिन 13 सालों में धनबाद को सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट के लिए जमीन नहीं मिली. जहां-जहां जमीन चिन्हित की गई, विवाद पीछे पड़ गया. नतीजा हुआ कि काम आगे नहीं बढ़ा. सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट के लिए पैसा कोई बाधक नहीं है. पैसा तो आकर पड़ा हुआ है. लेकिन जमीन इसमें सबसे बड़ी बाधक बनी हुई है .बलियापुर में जब काम शुरू हुआ तो उम्मीद जगी की अब लगता है कि सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन इस पर भी शनि की वक्र दृष्टि पड़ गई और विरोध की वजह से काम बंद कर दिया गया है.
आने वाले दिनों में बारूद की तरह कचरे के ढेर पर बैठेगा धनबाद
वहीं गांव वालों का कहना है कि शहर का कचरा गांव में नहीं डंप करने देंगे. नगर निगम ने भी काम बंद कर दिया है. ये समस्या धीरे-धीरे बड़ा आकार ले रही है. अगर जल्द ही शहर में कचरा प्रोसेसिंग प्लांट नहीं बना तो धीरे-धीरे शहर का कचरा एक बड़ी समस्या बन जाएगी. गिरिडीह जैसे जिले में प्रोसेसिंग प्लांट बन गया है, लेकिन धनबाद में अभी ये प्लांट जमीन ही खोज रहा है. लोयाबाद के वासुदेवपुर में नगर निगम को डंपिंग करने के लिए जगह मिल गई है, लेकिन ये स्थाई हल नहीं है. बलियापुर में जब चहारदीवारी का काम शुरू हुआ तो लगने लगा कि निर्माण अब पूरा हो जाएगा. चहारदीवारी के बाद कई प्रक्रिया पूरी की जा रही थी ,इस बीच विवाद बढ़ा और निगम ने काम रोक दिया. बलियापुर में सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट निर्माण का विरोध मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है.
सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट निर्माण का विरोध मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है
सवाल ये है कि अगर धनबाद जैसे शहर के लिए सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट नहीं तैयार हो पा रहा है तो इसके लिए जिम्मेवार कौन है. 2010 में धनबाद में नगर निगम का गठन हुआ. उसके बाद से ही प्रोसेसिंग प्लांट बनाने की योजना बनी, लेकिन 2023 तक प्रोसेसिंग प्लांट नहीं बन पाया. 2010 के बाद झारखंड के कई मुख्यमंत्री आए, चले गए .लेकिन धनबाद में प्रोसेसिंग प्लांट नहीं बन पाया. धनबाद के केवल प्रशासनिक अधिकारियों के लिए ही ये चुनौती नहीं है, बल्कि यहां के जनप्रतिनिधियों के लिए भी प्रोसेसिंग प्लांट कम बड़ी चुनौती नहीं है.
क्या आने वाले दिनों में कचरे के ढेर पर बैठेगा धनबाद
अभी हाल ही में कचरा डंपिंग विवाद को लेकर प्राइवेट एजेंसी ने काम बंद कर दिया था. उसका कहना था कि जहां भी कचरा डंपिंग के लिए उसकी गाड़ियां जाती है, लोग विरोध करते हैं. ऐसे में जब तक कोई स्थाई स्थान नहीं मिलता, वह काम नहीं करेगी. खैर अस्थाई तौर पर ही वासुदेवपुरम में डंपिंग का स्थान मिल गया है लेकिन आज नहीं तो कल स्थाई व्यवस्था तो करनी ही होगी. बड़ा सवाल कि जैसे आज धनबाद बारूद के ढेर पर बैठा है,उसी प्रकार आने वाले दिनों में कचरे के ढेर पर बैठेगा धनबाद.
रिपोर्ट-सत्यभूषण सिंह