धनबाद(DHANBAD): धनबाद लोकसभा से चार बार सांसद रही प्रोफेसर रीता वर्मा राजनीति में आई नहीं थी, उन्हें लाया गया था. लेकिन आज उन्हें भूला दिया गया है. पति रणधीर प्रसाद वर्मा की शहादत के बाद भाजपा ने सहानुभूति लहर बटोरने की कोशिश की और उसमें सफल रही. कांग्रेस के हाथ से धनबाद लोकसभा सीट छीनकर रीता वर्मा भाजपा की झोली में डाल दिया था. जिस समय उनके पति की शहादत हुई, उस समय वह रांची में व्याख्याता के पद पर कार्यरत थी. रणधीर प्रसाद वर्मा के अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़ ने भाजपा को कुछ सोचने को मजबूर कर दिया और उस समय झारखंड बना नहीं था. तरकांत झा बिहार भाजपा के अध्यक्ष थे. कैलाशपति मिश्र भी सक्रिय थे.
राजनीति में आई नहीं ,लाई गई थी रीता वर्मा
दोनों ने मिलकर रीता वर्मा को चुनाव में उतारने की सोची और काफी प्रयास के बाद रीता वर्मा चुनाव लड़ने को तैयार हो गई. उस समय धनबाद के उपायुक्त अफजल अमानुल्लाह थे. अफजल अमानुल्लाह और रणधीर प्रसाद वर्मा की जोड़ी धनबाद में मशहूर थी. दोनों में गजब का तालमेल था. रणधीर प्रसाद वर्मा जब धनबाद में कार्यभार ग्रहण किया, उस समय पत्रकार उत्पीड़न कांड को लेकर धनबाद उबल रहा था. कोयलांचल में पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहे जाने वाले ब्रह्मदेव सिंह शर्मा की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद,पत्रकार अशोक वर्मा, सलमान रवि, श्रीकांत की पुलिस पिटाई के बाद मामला तूल पकड़ लिया था. पूरे देश की मीडिया में यह खबरें उछलने लगी थी. हालात को नियंत्रित करने के लिए रणधीर प्रसाद वर्मा को धनबाद का एसपी बना कर भेजा गया. उन्होंने आकर बखूबी अपने कर्तव्य का निर्वहन किया और स्थिति को सामान्य करने में थोड़ा वक्त जरूर लगा, लेकिन उन्होंने कर लिया.
3 जनवरी 1991 को हुई थी रणधीर प्रसाद वर्मा की शहादत
लेकिन 3 जनवरी 1991 को धनबाद के हीरापुर ब्रांच के बैंक आफ इंडिया में डकैती की सूचना पर पहुंचे एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की आतंकवादियों ने हत्या कर दी. उस वक्त धनबाद ने पहली बार एके -47 देखा था. रणधीर प्रसाद वर्मा अपने स्वभाव के कारण धनबाद के लोगों से धुल मिल गए थे और यही वजह थी कि उनके अंतिम संस्कार में पूरा धनबाद शामिल हो गया था. इसके बाद रीता वर्मा को भाजपा में शामिल कराया गया. वह लगातार चार बार सांसद रही, लेकिन 2009 में रीता वर्मा का टिकट काटकर उस समय के धनबाद के विधायक पशुपतिनाथ सिंह को धनबाद से टिकट भाजपा ने दिया. वह विजई रहे. 2019 के चुनाव में भी उनकी जीत बरकरार रही. यह अलग बात है कि 2024 के लिए पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काट दिया गया है और बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को भाजपा ने धनबाद लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है. लेकिन चार बार की संसद रही रीता वर्मा को चुनाव हारने के बाद भाजपा ने भुला दिया.
धनबाद से रीता वर्मा का नाता अभी भी जुड़ा हुआ है
धनबाद से उनका नाता अभी भी जुड़ा हुआ है. धनबाद वह आती जाती रहती है. यह अलग बात है कि आंकड़े बताते हैं कि पलामू से भी कमला कुमारी चार बार सांसद चुनी गई, राज्य में बतौर महिला प्रत्याशी सबसे अधिक चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी इन्हीं दोनों के नाम है. वर्तमान लोकसभा में झारखंड से दो महिला सांसद है. भाजपा ने 2024 के चुनाव में तीन महिला प्रत्याशी को झारखंड के लोकसभा सीटों से उतारा है. इनमें अन्नपूर्णा देवी कोडरमा से, गीता कोड़ा सिंघभूम से, सीता सोरेन को दुमका से शामिल है. वहीं इंडिया गठबंधन में राजद ने पलामू से ममता भुइँया और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सिंघभूम से जोबा मांझी को प्रत्याशी बनाया है. इंडिया गठबंधन ने अब तक धनबाद, रांची, जमशेदपुर, गोड्डा और छात्र में प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो