धनबाद(DHANBAD): धनबाद का पुराना बाजार चेंबर अब दो फाड़ हो गया है. वैसे तो डेढ़ साल पहले ही नए चेंबर के गठन के साथ टूट हो गई थी. . लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए थे. संचालन समिति इसको चला रही थी. लेकिन गुरुवार को चुनाव हुआ और चुनाव में नए चेंबर का गठन किया गया. शोहराब खान -अध्यक्ष, पवन सोनी- महासचिव और कुणाल कुमार -कोषाध्यक्ष निर्विरोध चुने गए. नव चयनित पदाधिकारियों ने कहा कि सबका सम्मान और समस्या का समाधान, हमारा नारा ही नहीं, बल्कि संकल्प रहेगा. इस बीच अब पुराना बाजार में दो चेंबर काम करेंगे. इसको लेकर सैकड़ो दुकानदार चिंता में पड़ गए हैं कि वह किसकी सदस्यता ले. बताया जाता है कि कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं, जो दोनों की सदस्यता ले रखी है.
आरोप -प्रत्यारोप का दौर भी हो गया शुरू
पुराना बाजार चेंबर के एक संगठन के अध्यक्ष अजय नारायण लाल ने कहा है कि हमारे चेंबर में 700 से अधिक सदस्य है. संगठन को तोड़ने का काम किया गया है. उन्होंने यह भी कहा है कि जिस समय पुराना बाजार चेंबर का चुनाव हो रहा था. उस समय लोगों को चुनाव में भाग लेना चाहिए था और विरोध करना चाहिए था. लेकिन वह लोग पीछे हट गए. इधर, राजेश गुप्ता ने कहा है कि अगर जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स नए चेंबर को मान्यता नहीं देगा, तो हम रांची चेंबर ऑफ कॉमर्स से मान्यता लेंगे. अब सवाल उठता है कि कहीं ऐसा ना हो कि पुराना बाजार चेंबर का विवाद का असर धनबाद जिले के पैतृक संगठन पर पड़े. और अगर ऐसा हुआ तो यह कारोबारियों के हित में कितना होगा ,यह तो वही बता सकते है. धनबाद में चेंबर ऑफ कॉमर्स का गठन एक पवित्र उद्देश्य के लिए किया गया था. लेकिन अब व्यवसायी "पावर" की लड़ाई लड़ रहे है. चेंबर में भी तोड़फोड़ हो रही है.
विवाद कहा तक जाएगा ,यह देखने वाली बात होगी
यह आने वाला वक्त बताएगा कि पुराना बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स से जो विवाद उठा है, वह कहां तक जाएगा. यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि सालों पहले बैंकमोड़ ही धनबाद का बड़ा बाजार हुआ करता था. बदमाशों की करतूत से कारोबरी परेशान रहते थे. कपडे की एक दुकान में ऐसी घटना हुई कि कारोबारी एक प्लेटफॉर्म पर आ गए. उसके बाद बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का गठन हुआ. गठन में भी एक ऐसे "आजादशत्रु" की भूमिका रही ,जिसका कारोबार से दूर -दूर तक का रिश्ता नहीं था. फिर फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज बना. दरअसल 80 के दशक में बैंक मोड़ के कपड़े की दुकान में रंगदारी की घटना हुई थी. कहा तो यह जाता है कि बिहार के उस समय के एक मंत्री के आदमी सर्किट हाउस से निकलकर दुकान पहुंचे थे. कुछ कपड़े की खरीदारी की थी, लेकिन पैसे को लेकर विवाद हुआ और मारपीट की घटना हो गई. यह सब घटना भुवनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब के सामने हुई.
बैंक मोड़ की एक घटना ने कारोबारियों को एक प्लेटफॉर्म पर लाया था
इस घटना ने मास्टर साहब को विचलित कर दिया. पेशे से टीचर होने के बावजूद वह दुकानदारों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया और इसमें सफल भी रहे. जब तक वह जीवित रहे, आजीवन अध्यक्ष रहे. लेकिन उनके निधन के बाद परिस्थितियों में बदलाव आया. गुटबाजी शुरू हुई, वोटिंग से चुनाव होने लगे. फिलहाल तो फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज में 58 चैंबर सदस्य है. मास्टर साहब सरकारी शिक्षक थे, लेकिन बैंक मोड की घटना ने उन्हें व्यवसाईयों के बीच आने का न्योता दिया. व्यवसायी भी उनकी बातों पर सहमत हुए. फिर तो संगठन बना. लेकिन आज कारोबारियों में हम बड़ा तो हम बड़ा की लड़ाई छिड़ गई है. कौन कितना सही है ,किसकी गलती है ,इस मामले में सबके अपने -अपने पक्ष है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो