धनबाद(DHANBAD):अभी बरसात का मौसम है. भू -धसान की घटनाएं लगातार हो रही है. जमीन फटती है और जहरीली गैस निकलने लगती है. एक दो जगह नहीं, बल्कि दर्जनों जगह ऐसा हो रहा है. फिर भी धनबाद में प्रदूषण कितना बढ़ रहा है, यह जानने के लिए आपको कहीं कोई स्रोत नहीं मिलेंगे. देश भर में वायु प्रदूषण की स्थिति को जानकर उसे कंट्रोल करने के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम बनाया गया है. देश भर के 100 प्रमुख शहरों में यह कार्यक्रम चल रहा है. इसमें धनबाद भी शामिल है. लेकिन धनबाद में प्रदूषण की मात्रा क्या है, यह बताना मुश्किल है. धनबाद नगर निगम क्षेत्र के 10 जगहों पर लगभग 7 करोड रुपए की लागत से कंटीन्यूअस एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन बनाया गया है. सभी एक महीने से बंद है. अब सवाल उठता है कि प्रदूषण की मात्रा का आंकड़ा आखिर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कैसे भेजा जा रहा है.
क्या धनबाद में प्रदूषण को छिपाने की कोई साजिश हो रही है. वैसे, कहा जाता है कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह सब हुआ है. लेकिन इतना तो तय है कि कोई यह नहीं जान पा रहा है कि धनबाद में प्रदूषण की मात्रा कितनी है. नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत यहां की हवा को शुद्ध करने के लिए धनबाद नगर निगम को 70 करोड रुपए मिले है. इसके पहले भी राशि मिली थी. लगभग 50 करोड रुपए से अधिक निगम खर्च कर चुका है. यह अलग बात है कि हवा की गुणवत्ता में थोड़ी सुधार जरूर दिखा था. लेकिन यह सुधार भी जैसा होना चाहिए था, नहीं हुआ है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी धनबाद की वर्तमान स्थिति से फिलहाल अनभिज्ञ है. क्योंकि जब सिस्टम ही काम नहीं कर रहा है तो डाटा भी उसके पास नहीं जाता है. धनबाद जिला देश के प्रदूषित शहरों में शुमार है.
यहां प्रदूषण की मात्रा अधिक है. कोलियरी इलाकों में प्रदूषण के चलते लोग समय से पहले ही स्वर्ग सिधार जा रहे है. प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले बताते हैं कि कोलियरी इलाकों में रहने वाले लोग अपने आयु से 10 वर्ष कम जी रहे है. फिर भी प्रदूषण की रोकथाम के लिए एजेंसियां यहां गंभीर नहीं है. झरिया क्षेत्र कभी हरे-भरे पहाड़ों से घिरा था. कभी इस क्षेत्र में जिंदगी खुशहाल थी. लेकिन आज लोग यहां सुनसान खदानों और धधकती आग के साए में रह रहे है. एक तरफ जमीन धंसने का खतरा, वहीं दूसरी ओर धधकते कोयले से होता प्रदूषण लोगों की जान ले रहा है. प्रदूषण के कण सांस सम्बन्धी रोगों जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा को बढाते है. साथ ही यह गैसें ग्लोबल वार्मिंग में भी योगदान देती है. इतना ही नहीं, यह आग, वहां मौजूद पानी को भी दूषित कर रही है. इसकी वजह से पानी में अम्लता बढ़ रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो