धनबाद(DHANBAD): धनबाद के बलियापुर में फूड प्वाइजनिंग से प्रभावित सरकारी अस्पताल में भर्ती 141 में से 138 घर चले गए हैं. तीन लोगों का अभी इलाज चल रहा है, लेकिन उनकी हालत में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. बलियापुर फूड प्वाइजनिंग भी सिस्टम के फेलियर का एक नमूना है. जानकारी के अनुसार बुधवार की शाम भोक्ता मेले में बेचे जा रहे छोला में लोटन (छिपकली की एक प्रजाति) गिरने से विषाक्त हो गया था. दुकानदार की धृष्टता देखिए, बिना किसी डर के वह छोला बेचता रहा और लोगों को खिलाता रहा. हालांकि इसकी अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
उठ रहे कई सवाल
जांच के लिए कमेटी बनाई गई है और कमेटी जांच करेगी लेकिन लोगों का कहना है कि लोटन गिरने से ही छोला विषाक्त हो गया और लोग बीमार पड़ने लगे. जिस समय यह घटना घटी, उस समय मेला में 1000 से अधिक लोग मौजूद थे. सवाल उठता है कि छोला में लोटन गिर गया तो इसकी बिक्री क्यों की गई. यह भी पता चला है कि जो लोग एक प्लेट से अधिक छोला खाए, उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी. मतलब मेले आदि में खाद्य पदार्थों की जांच की व्यवस्था अब नहीं रह गई है. शहर, जिलों की दुकानों में क्या बिक रहा है, उनकी गुणवत्ता खाने लायक है अथवा नहीं, इसकी जांच तो अब कहीं सुनाई भी नहीं पड़ती. हां इतना जरूर होता है कि पर्व त्यौहार के मौके पर बड़ी-बड़ी दुकानों से कुछ सैंपल लिए जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट भी तब मिलती है जब त्यौहार वगैरह सब बीत जाते हैं. उसके बाद बात आई गई खत्म हो जाती है. यह बात अलग है कि बलियापुर की घटना ने सबकी आंखें खोल दी है. इस घटना ने एक साथ कई अव्यवस्थाओं पर प्रहार किया है.
इस घटना से चिकित्सा व्यवस्था की भी खुली पोल
पहली अव्यवस्था तो यह है कि अगर कहीं मेला लगता हो तो उस में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की जांच पड़ताल होनी चाहिए. दुकानदारों को हिदायत होनी चाहिए की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करें. दूसरी की जिले में इस घटना ने चिकित्सा व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी. धनबाद के एसएनएमएमसीएच में जब एक साथ 100 से अधिक मरीज पहुंचे तो अफरा-तफरी मच गई. हालत यह हो गई कि जहां-तहां बैठकर, गाछ में टांग कर मरीज स्लाइन करवाने लगे. अस्पताल में स्लाइन तक नहीं था. परिजनों को बाहर से खरीद कर लाना पड़ा. इस बात की पुष्टि धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने भी की है.
ऐसे में इस घटना से सबक लेकर क्या कोई नई व्यवस्था बनेगी यह एक बड़ा सवाल है. सवाल यह भी है कि पहले खाद्य पदार्थों की जांच के लिए धनबाद में एक प्रयोगशाला हुआ करती थी .वह प्रयोगशाला सालों साल से बंद है. फिलहाल अभी किसी भी जांच के लिए झारखंड में एक ही प्रयोगशाला रांची के नामकुम में है. सैंपल भेजने के बाद रिपोर्ट आने में काफी विलंब होता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो