धनबाद (DHANBAD) : टिकट बिक्री की राशि का गबन होता रहा, रेल अधिकारियों को फर्जी वाउचर और चलान मिलते रहे, लेकिन जब मामला पकड़ में आया तो रेल अधिकारियों के होश उड़ गए. एक- दो स्टेशनो से शुरू हुई जांच दो दर्जन स्टेशनों तक पहुंच गई है. एक स्टेशन पर गड़बड़ी पकड़ाने के बाद जब जांच शुरू हुई तो खुलासे होते चले गए. अब तक इस मामले में 18 शिकायतें पुलिस के पास दर्ज कराई गई है. रेलवे के अधिकारी अब 4 साल का डाटा खंगाल रहे है. यह पता लगा रहे हैं कि क्या यह सब गड़बड़ी 2023 से शुरू हुई है या उसके पहले के सालों में भी की गई है. रेल अधिकारियों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है.
22 स्टेशनों की 8 करोड़ की राशि का गबन किया है
बता दें कि एसबीआई के एजेंटो ने धनबाद रेल मंडल के लगभग 22 स्टेशनों की 8 करोड़ की राशि का गबन किया है. यह रकम पूर्व मध्य रेलवे के फाइनेंशियल एडवाइजर एंड चीफ एकाउंट्स ऑफिसर के खाते में जमा होनी थी. इसे हाजीपुर स्थित एसबीआई की मुख्य शाखा के लिए संबंधित स्टेशनों के एसबीआई शाखाओं में जमा किया जाना था. लेकिन एजेंटो ने राशि का गबन कर लिया था. धनबाद मंडल द्वारा साल 2023 और 2024 में स्टेशनों द्वारा जमा करने भेजी गई रकम की रिसीविंग और बैंक स्टेटमेंट से मिलान करने पर 8 करोड रुपए के गबन का पता चला है. अब गबन का मामला सामने आने के बाद पीछे के सालों का भी स्टेटमेंट लिया जा रहा है. बता दें कि पूर्व मध्य रेलवे के साथ हुए एग्रीमेंट के बाद एसबीआई ने रुपए जमा करने की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को आउटसोर्स कर दिया.
अब रेलवे चार साल का डिटेल्स खंगाल रहा है
हालांकि यह भी बताया जाता है कि इस घोटाले से रेलवे को कोई नुकसान नहीं होगा. क्योंकि पूरी राशि बीमा कराई हुई है. भारतीय स्टेट बैंक को रेलवे को राशि देनी होगी. रेलवे की टीम अब पिछले 4 वर्षों का डाटा खंगाल रही है. बता दें कि वाईकर्स कैश जमा करने के बाद बैंक के वाउचर को रेलवे को देते हैं और जानकारी अपनी एजेंसी में जमा करते है. इस मामले में बाइकर्स ने विभिन्न स्टेशनों से कैश तो उठाया लेकिन उन्हें रेलवे के खाता में जमा नहीं किया है. वाईकर्स कैश संबंधी वाउचर को फर्जी रूप से तैयार किया और रेलवे के अधिकारियों को दिया. रेलवे के हाजीपुर जोन को विभिन्न स्टेशनों से होने वाले आय पर शंका हुई, इसके बाद रेलवे की तरफ से इंटरनल ऑडिट शुरू हुआ. इसी ऑडिट में पकड़ा गया कि 2023 के बाद इस घोटाले की शुरुआत हुई. घोटाले का दायरा धीरे-धीरे बढ़कर करोड़ों में चला गया.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो