धनबाद(DHANBAD): धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा को क्या चित्रगुप्त महा परिवार की ओर से आयोजित मतदाता जागरूकता अभियान में भाषण देने की वजह से नोटिस दिया गया है या और कोई वजह है. राज सिन्हा ने कहा था कि हम सब भगवान चित्रगुप्त के वंशज है. हमें बुद्धिजीवी समझा जाता है, बावजूद हम लोग चुनाव को चुनौती की तरह नहीं लेते है. इसलिए इस बार प्रण ले कि स परिवार सबसे पहले अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. बुद्धिजीवी होने के नाते अपने बुद्धि -विवेक से स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी को ही वोट करेंगे. क्या सिर्फ इसी वजह से उन्हें पार्टी की ओर से नोटिस दिया गया है या फिर कोई और वजह है.
विधायक राज सिन्हा के खिलाफ क्या "फाइल" तैयार हो रही
क्या ऐसा तो नहीं की विधायक राज सिन्हा के खिलाफ "फाइल" तैयार की जा रही है. और अगर "फाइल" तैयार नहीं भी की जा रही है, तो एन चुनाव के मौके पर कारण बताओं नोटिस जारी करना कितना सही और कितना गलत हो सकता है. इसका आकलन तो राजनीतिक पंडित ही कर सकते हैं, लेकिन धनबाद में इसकी चर्चा तेज है. यह यह बात भी सच है कि धनबाद में बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद विधायक को इग्नोर किया जा रहा था. यह अलग बात है कि विधायक ने कभी इसका विरोध नहीं किया. पार्टी फोरम में भले ही मामले को उठाते हो, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा था. एकाएक सोमवार को पार्टी की ओर से उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया. यह अलग बात है कि उनके साथ हजारीबाग के निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा को भी नोटिस जारी किया गया है. आरोप है कि चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में उन्होंने काम नहीं किया. हजारीबाग में वोटिंग सोमवार को खत्म हो गई है.
झारखंड के तीसरे चरण में धनबाद में वोटिंग 25 मई को होनी है
धनबाद में वोटिंग 25 मई को होनी है. सवाल उठता है कि आखिर पार्टी की क्या मजबूरी हुई कि उन्होंने चुनाव के ठीक पहले राज सिन्हा जैसे कद्दावर नेता के खिलाफ कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया. इस मामले में न विधायक कुछ बोल रहे हैं ना पार्टी के अन्य नेता. लेकिन चर्चा तो शुरू हो गई है. सिर्फ धनबाद विधायक को ही नहीं बल्कि पांच मंडल अध्यक्षों को भी नोटिस जारी किया गया है. उन्हें भी कारण बताने को कहा गया है कि क्यों ना आप लोगों को भी पार्टी से निलंबित कर दिया जाए. जो भी हो लेकिन धनबाद में इस "चिट्ठी बम" के फूटने से जितनी मुंह, उतनी तरह की बातें कहीं जा रही है. वैसे कहा जाए तो धनबाद विधायक राज सिन्हा का राजनीति में उदय 2009 में हुआ. 2009 के विधानसभा चुनाव में वह मात्र 890 वोट से हार गए थे. मन्नान मल्लिक कांग्रेस के टिकट पर धनबाद के विधायक बने थे. मन्नान मल्लिक को 55,641 वोट मिले थे जबकि राज सिन्हा को 54,751 मत प्राप्त हुए थे. इसके पहले 2005 के विधानसभा चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह धनबाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे. पशुपतिनाथ सिंह को 83,692 वोट मिले थे जबकि मन्नान मल्लिक को 62,012 वोट प्राप्त हुए थे.
2014 के विधानसभा चुनाव में 52,000 से जीते थे राज बाबू
2014 के विधानसभा चुनाव में राज सिन्हा पहली बार विधायक बने और उन्होंने कांग्रेस के मन्नान मल्लिक को 52,000 से भी अधिक वोटो से हराया था. 2014 के चुनाव में राज सिन्हा को 1,32,091 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के मन्नान मल्लिक को 79,0 94 वोट प्राप्त हुए थे. 2019 में भी राज सिन्हा ने मन्नान मल्लिक को 30,000 से भी अधिक वोटो से हराया था. राज सिन्हा को 2019 में कुल 1,20,773 वोट आए थे जबकि कांग्रेस के मन्नान मल्लिक को 90, 144 वोट प्राप्त हुए थे. 2019 में झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक 81 विधानसभा सीटों पर पांच चरणों में मतदान हुआ था. यह बात अलग है कि पशुपतिनाथ सिंह का टिकट कटने के बाद भाजपा का एक खेमा नाराज चल रहा है. इसके लिए भाजपा के झारखंड प्रभारी सहित संगठन मंत्री धनबाद का दौरा कर चुके हैं, लेकिन लगता नहीं है कि नाराजगी को वह खत्म कर पाए है. नतीजा हुआ है कि धनबाद विधायक राज सिन्हा सहित पांच मंडल अध्यक्षों को नोटिस जारी किया गया है. अब देखना है कि आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो