धनबाद(DHANBAD): धनबाद लोकसभा से क्या आठवीं बार भाजपा की जीत होगी या 2004 के बाद पहली बार कांग्रेस जीत का स्वाद चखेगी. यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि झारखंड का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र धनबाद "हॉट केक" बन गया है. प्रदेश स्तरीय नेताओं की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है. दांव पर इसलिए है कि उम्मीदवार के चयन में सबों ने अपनी -अपनी पसंद का ख्याल रखा है. भाजपा ने पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बेरमो की रहने वाली अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. दोनों जीत के दावे तो कर रहे हैं लेकिन उनकी राह में अभी भी कई कील - कांटे दिखाई दे रहे है. धनबाद कोयलांचल को कोयले की राजधानी कहा जाता है.
कोयला मजदूरों की चुनाव परिणाम में होती है भूमिका
लिहाजा, कोयला मजदूरों की भी चुनाव परिणाम में बड़ी भूमिका होती है. यह अलग बात है कि राष्ट्रीयकरण के समय जितने कोयल मजदूर थे, वह आज नहीं है. लेकिन असंगठित क्षेत्र में मजदूरों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह असंगठित क्षेत्र के मजदूर कोलियरी इलाकों के अगल-बगल विपरीत परिस्थितियों में रहते है. इसके अलावा झुग्गी झोपड़िया में रहने वालों की संख्या भी कम नहीं है. जहरीली गैस का रिसाव होता रहता है. भू धसान होते रहते हैं, गोफ बनते रहते हैं, फिर भी यह मजदूर उन्हीं इलाकों में रहते है. यह लोग भी वोट करेंगे, यह अलग बात है कि इनके पास रोज कमाने खाने के सिवा कोई विकल्प नहीं है. लेकिन चुनाव परिणाम में तो उनकी भागीदारी होती ही है. झरिया, धनबाद और निरसा विधानसभा क्षेत्र में ऐसे लोग आपको मिल जाएंगे, जो अग्नि प्रभावित इलाकों में भी झोपड़ी डालकर रहते है. वैसे 2024 के लोकसभा चुनाव में एके राय की पार्टी ने भी जगदीश रवानी को अपना उम्मीदवार बनाया है. सिंदरी और निरसा विधानसभा क्षेत्र में एके राय की पार्टी की भी पकड़ है.
कोयला मजदूरों की राजनीति से चमकती है खादी
भाजपा के उम्मीदवार ढुल्लू महतो भी कोयला मजदूरों की राजनीति करते हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह के पति अनूप सिंह भी कोयला मजदूरों की राजनीति करते है. उनका आधार ही कोयला मजदूरों की राजनीति है. एक बात और महत्वपूर्ण है कि धनबाद लोकसभा का परिणाम झारखंड विधानसभा के चुनाव परिणाम को भी प्रभावित कर सकता है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत अभी जो छह विधानसभा सीटें हैं ,उनमें पांच भाजपा के पास है जबकि कांग्रेस के पास एक है. ऐसे में इंडिया ब्लॉक यह जरूर चाहेगा कि धनबाद में उनका दबदबा कायम हो तो एनडीए भी चाहेगा कि चौथी बार भी भाजपा को लगातार जीत मिले. जिससे कि छह विधानसभा में से लगभग सभी पर वह अपना परचम लहरा सके. इसी साल ही झारखंड विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में हर एक लोकसभा क्षेत्र का गणित विधानसभा चुनाव के हिसाब से बैठाने की भी कोशिश की गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो