धनबाद(DHANBAD): धनबाद के कई जगहों पर आज भी युवा अपने पूर्वजों की शुरू की गई परंपराओं का धैर्य, विश्वास और अनुशासित होकर पालन करते है. मां की प्रतिमा को कंधे पर उठाते हैं, मां दुर्गा के जयकारा लगाते हैं और फिर सड़कों का भ्रमण करते हुए प्रतिमा को तालाबों में विसर्जित करते है. यह दृश्य काफी मनमोहक तो होता ही है,उत्साह भी चरम पर होता है. धनबाद के हरि मंदिर और पांडरपाला में मंगलवार की रात जब युवाओं की टोली ने मां की प्रतिमा को जय दुर्गे, जय दुर्गे कहकर उठाना शुरू किया तो बहुतों की आंखें फटी की फटी रह गई. विसर्जन जुलूस के साथ बच्चो ,महिलाओं की टोली भी नाचते -गाते चल रही थी.पांडरपाला के कुम्भार पंडित भी पचास सालो से अधिक समय से पूजा कर रहे है. यहाँ भी विसर्जन कंधे पर ही होता है.
भक्तों की टोली भी साथ - साथ होती
विसर्जन में इलाके के लोग काफी उत्साह के साथ शामिल होते है, यह तो अपने बुजुर्गों द्वारा शुरू की गई परंपरा को निर्वाह करने की चुनौती है . इस चुनौती को स्वीकार करना उनके लिए जरूरी भी है . युवाओं की टोली ने सफलतापूर्वक यह काम किया. अन्य कुछ जगहों पर भी ऐसा ही कुछ होता है. जिस समय यह परंपरा शुरू हुई होगी ,उस समय तो वाहनों की सुविधा बहुत ही कम रही होगी. पूजा के बजट भी कम होते होंगे. सजावट पर लोगों का ध्यान कम होता होगा और आस्था से पूजा की जाती होगी. समय के साथ परंपराएं बदलती चली गई. पूजा पंडालों की संख्या भी बढ़ती गई. आज 25 से 30 लाख के बजट की कई पूजा धनबाद शहर के अगल-बगल होती है. कुछ का बजट इससे भी अधिक का होता है. लेकिन हीरापुर हरि मंदिर में पारंपरिक ढंग से आज भी पूजा होती है और पूजा के बाद युवाओं की टोली मां को कंधे पर उठाकर विसर्जित करने को ले जाते है.
सड़क पर ट्रैफिक क्लियर का रहता है इंतजाम
यह अलग बात है कि सड़क पर उनके जाने के वक्त ट्रैफिक क्लियर करने के लिए जवान तैनात रहते है. इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि बिजली के तार से प्रतिमा का कहीं संपर्क नहीं हो. इस साल तो जिन-जिन जगहों पर और जिन-जिन रूटों से होकर प्रतिमा को जाना था, सुरक्षा के ख्याल से बिजली काट दी गई थी. जो भी हो लेकिन हीरापुर हरि मंदिर की प्रतिमा बहुत ही श्रद्धा और आकर्षक ढंग से पानी में विसर्जित की जाती है. इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है की प्रतिमा का कोई भी हिस्सा खंडित नहीं हो और सुरक्षित प्रतिमा को पानी के हवाले किया जा सके. ऐसा ही मंगलवार की रात हुआ. आगे आगे मां की प्रतिमा और पीछे-पीछे भक्तों की टोली, क्या गजब का क्या गजब की श्रद्धा थी, क्या भक्तों में मां के प्रति विश्वास था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो