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DHANBAD कह रहा है -भीख ना ही अधिकार मांगेनी, पइसा दे तानी विकास मांगेनी, जानिए इसका फुल डिटेल्स 

DHANBAD कह रहा है -भीख ना ही अधिकार मांगेनी, पइसा दे तानी विकास मांगेनी, जानिए इसका फुल डिटेल्स 

धनबाद(DHANBAD): भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर का एक  बोल है -कि  भीख ना ही  अधिकार मांगेनी , बेरोजगार बानी साहब, हम रोजगार मांगेनी,  धनबाद पर यह गीत पूरी तरह से फिट बैठता है. ऐसे थोड़ा बदल कर ,धनबाद कह रहा है -भीख ना ही  अधिकार मांगेनी,पइसा दे तानी विकास मांगेनी,कोयले की रॉयल्टी के रूप में धनबाद झारखंड सरकार को एक  साल में लगभग 1600  करोड़ रुपए देता है.  वैसे धनबाद के पास रॉयल्टी के मद  में देने वाली राशि का तमगा नंबर वन का है.  यह अलग बात है कि कोयला उत्पादन राज्यों में झारखंड तीसरे या चौथे स्थान पर है लेकिन रॉयल्टी भुगतान में इसका नंबर सबसे ऊपर है.  कारण है कि कोकिंग कोल की 95% से अधिक मात्रा  झारखंड में ही पाई जाती है. कोकिंग कोल्  महंगा होने के कारण रॉयल्टी भी ज्यादा सरकारों को मिलती है.  लेकिन सरकार है कि धनबाद पर ध्यान नहीं देती. 

राजस्व के दो मामलों में है धनबाद नंबर एक 
 
धनबाद रेल मंडल पूरे देश में राजस्व देने के मामले में नंबर एक पर आ गया है. मतलब सरकारों को राजस्व देने के मामले के  दो मामले में तो धनबाद नंबर वन बन गया है लेकिन सुविधाओं के मामले में क्या कभी नंबर एक बन पाएगा. यह यह बड़ा सवाल यहाँ पहाड़ की तरह खड़ा है.  पानी की समस्या हो, बिजली की बात हो, ट्रैफिक की परेशानी हो, सड़क की समस्या हो, चिकित्सा की बात हो ,एयरपोर्ट की बात हो,  फ्लाईओवर की बात हो, सब में धनबाद पिछड़ा है या यूं कहिए कि इसे जानबूझकर पीछे रखा गया है.  धनबाद में कद्दावर पॉलीटिशियंस है, फिर भी धनबाद को अपना अधिकार नहीं मिलता.  धनबाद तो भीख नहीं ,अधिकार मांगता है लेकिन भीख समझ कर भी उसे कुछ नहीं दिया जाता.  ट्रेनों की बात हो, एयरपोर्ट की बात हो या ट्रैफिक की बात हो, सबकुछ आदम जमाने की व्यवस्था ही चल रही है.  जबकि राजस्व में तेज उछाल आया है.  अब यहां के लोग यह बात कहने लगे हैं कि गैर राजनीति विकास मंच बनना चाहिए, जो धनबाद के विकास की केवल बात करे.  

गैर राजनीतिक विकास मंच की उठ रही मांग 

उस मंच में राजनीतिक दल के नेता, विधायक, सांसद रहे जरूर लेकिन बातें किसी दल की नहीं होगी, केवल विकास की होगी.  वैसे कहने के लिए तो ऐसे मंच चल रहे हैं लेकिन वह मंच बहुत कारगर इसलिए भी नहीं हो पा रहे हैं कि उसमें कहीं ना कहीं राजनीतिक स्वार्थ जुड़ गया है.  पहले कहा जाता था कि बिहार में रहने के कारण इस इलाके पर सरकार का ध्यान नहीं है, लेकिन झारखंड बनने के बाद भी धनबाद पर सरकार का ध्यान नहीं गया.  झारखंड बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की सरकार में तो धनबाद से 5  ताकतवर मंत्री थे, लेकिन धनबाद को कुछ नहीं दिला पाए.  फिलहाल धनबाद से कोई मंत्री तो सरकार में नहीं है लेकिन धनबाद से भाजपा के चार विधायक, कांग्रेस के एक  और झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक  विधायक है.  इन विधायकों  पर से  लोगों की आस  टूटने लगी है और विकास मंच की बात तेज होने लगी है.  हालांकि इस तरह की बातें   करने वाले धनबाद का  धनबाद का प्रबुद्ध वर्ग है, जिसे राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. देखना है आगे क्या  होता है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:08 Apr 2023 02:17 PM (IST)
Tags:dhanbaddevelopmentamountdemandmanch
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