धनबाद(DHANBAD): डर के साए में सरकारी शिक्षा. जी, हां ...झारखंड की आर्थिक राजधानी धनबाद में तो कुछ ऐसा ही हो रहा है. जर्जर स्कूल भवनों को न ध्वस्त करने की अनुमति मिल रही है और न ही रिपेयरिंग हो रही है. नतीजा है कि स्कूल के शिक्षक से लेकर छात्र और उनके अभिभावक डरे रहते हैं. कुल 379 जर्जर स्कूल भवनों के बारे में अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. जिला समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय ने प्रखंडों से मिली रिपोर्ट के आधार पर 379 जर्जर स्कूल भवनों की सूची जिला विकास शाखा व भवन प्रमंडल विभाग को भेजी है. दोनों कार्यालय से जर्जर भवनों के संबंध में एनओसी मांगी गई है, ताकि उन्हें तोड़ा जा सके. यह भी रिपोर्ट मांगी गई है कि इनमें से कितने भवनों की मरम्मत कराई जा सकती है.
डर के साए में बच्चे कर रहे पढ़ाई
अब तक जिला विकास शाखा व भवन प्रमंडल विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है. यही वजह है कि जर्जर स्कूल भवनों में डर के साए में पढ़ाई चल रही है. 16 मार्च को झरिया केसी गर्ल्स स्कूल में छज्जा टूटकर गिरने से आठवीं की एक छात्र की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद हंगामा भी हुआ था. 22 मार्च को प्राथमिक विद्यालय भागा कोलियरी के भवन की छत का प्लास्टर टूट कर गिरा. घटना के बाद स्कूल के अभिभावक और शिक्षक डरे हुए हैं. यह स्थिति जिले के कई अन्य सरकारी स्कूलों की भी है.
स्कूल में जर्जर भवन को ध्वस्त करने के लिए एनओसी की मांग की गई
जानकारी के अनुसार उत्क्रमित मध्य विद्यालय जहाजटांड़, झरिया का भवन काफी जर्जर अवस्था में है. इस विद्यालय में कभी भी अप्रिय घटना की आशंका है. झरिया के सीओ, समग्र शिक्षा अभियान के जेई, हेड मास्टर ने जिला कार्यालय को पत्र भेजकर स्थिति की जानकारी दी है . विद्यालय एवं छात्र हित में स्कूल में जर्जर भवन को ध्वस्त करने के लिए एनओसी की मांग की गई है. धनबाद में यह स्थिति एक लंबे समय से बनी हुई है. दुर्घटनाएं भी हो रही है, लेकिन समाधान नहीं निकल रहा है. जब घटनाएं होती हैं, हंगामा होता है तो जांच पड़ताल की जाती है. फिर रिपोर्ट दी जाती है लेकिन कई विभागों के बीच का मामला होने के कारण अंतिम निर्णय नहीं हो पता है. जरूरत है कि एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर धनबाद जिले के सभी सरकारी स्कूलों के भवनों की जांच पड़ताल की जाए और सुरक्षा के ख्याल से जो भी निर्णय जरूरी हो ,तत्काल लिया जाए. झरिया में छज्जा गिरने से छात्र की मौत के बाद शिक्षा विभाग की सक्रियता तेज हुई थी. लग रहा था कि अब समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. शिक्षक और हेड मास्टर स्कूल तो जाते हैं लेकिन बच्चों की पढ़ाई से अधिक उन्हें उनकी सुरक्षा की चिंता रहती है. ऐसे में यहां के जनप्रतिनिधियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह सरकारी स्कूल के भवनों का निरीक्षण करें . धनबाद के सरकारी स्कूलों में सुरक्षित शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए सरकार से मांग करें.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो