धनबाद(DHANBAD): झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी संभवत शनिवार को अधिकृत रूप से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे. संभव है उसके बाद झारखंड के अन्य जिलों के जिला अध्यक्ष की भी अदला -बदली हो. जहां के अध्यक्ष कार्यकाल पूरा कर लिए है , उनकी जगह पर नए अध्यक्ष का चयन, चुनाव, मनोनयन या घोषणा हो सकती है .धनबाद जिला भी उसी में शामिल है. यहां के महानगर जिला अध्यक्ष और ग्रामीण जिला अध्यक्ष के कार्यकाल भी पूरे हो गए हैं. उनकी जगह पर भी नए जिलाध्यक्ष की प्रतीक्षा की जा रही है. ग्रामीण जिलाध्यक्ष के लिए तो बहुत शोर नहीं है लेकिन महानगर जिलाध्यक्ष के लिए जोर- आजमाइश चल रही है. अभी तक के हालात तो यही बताते हैं कि चुनाव के बजाय रायशुमारी से मनोनयन हो सकता है. सांसद पशुपतिनाथ सिंह, जिसे चाहेंगे ,उस पर अन्य विधायक भी मुहर लगा सकते है.
अब तक के इतिहास में केवल दो बार ही हुए है चुनाव
चुनाव का कोई दृश्य फिलहाल दिख नहीं रहा है. वैसे धनबाद जिला भाजपा अध्यक्ष का अभी तक केवल दो बार ही चुनाव हुआ है. एक बार 2001 से 2004 तक के कार्यकाल के लिए और उसके पहले 1998 से 2001 के कार्यकाल के लिए. यह दोनों चुनाव कई मायने में उल्लेखनीय रहे थे. 1998 से 2001 के कार्यकाल में विजय झा चुनाव जीते थे. उनके विरोध में हरि प्रकाश लाटा और सत्यदेव गोस्वामी चुनाव लड़ रहे थे. हरि प्रकाश लाटा को पशुपतिनाथ सिंह का समर्थन था तो सत्यदेव गोस्वामी को प्रोफेसर रीता वर्मा समर्थन कर रही थी. बावजूद विजय झा चुनाव जीत गए. उसके बाद 2001 से लेकर 2004 के कार्यकाल के लिए भी चुनाव हुआ. इस चुनाव में सत्येंद्र कुमार ने फूलचंद मंडल को हराकर जिला अध्यक्ष बने थे. उस समय कार्यकाल 3 साल का हुआ करता था. उसके बाद यह कार्यकाल घटाकर 2 साल का कर दिया गया.
विजय झा तो राजनीतिक जीवन से ही सन्यास ले लिया
विजय झा ने तो राजनीतिक जीवन से ही सन्यास ले लिया है. सत्यदेव गोस्वामी का निधन हो चुका है. हरि प्रकाश लाटा की अभी भी सक्रियता बनी हुई है. सत्येंद्र कुमार भी भाजपा में सक्रिय हैं. लेकिन फूलचंद मंडल फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा में है. दोनों चुनाव हीरापुर के बबलू धर्मशाला में हुए थे. चुनाव में काफी गहमागहमी थी. सत्येंद्र कुमार के चुनाव में तो जबरदस्त जोर आजमाइश थी, क्योंकि फूलचंद मंडल भी मजबूत उम्मीदवार थे. उस समय सूर्यदेव सिंह के बड़े पुत्र राजीव रंजन भी भाजपा में आ गए थे. और चुनाव स्थल पर उनकी भी मौजूदगी थी. उसके बाद तो जो भी जिला अध्यक्ष बने ,सब "गणेश परिक्रमा" वाले ही बनते रहे. देखना होगा इस बार परिणाम क्या होता है और कौन अध्यक्ष बनकर उम्मीदवारों को चुनाव की बैतरणी पार करता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो