धनबाद(DHANBAD): धनबाद के कारोबारी 40-45 साल पहले एकजुट नहीं थे. परिस्थितियों ने उन्हें एकजुट कर दिया. उस वक्त बैंकमोड़ ही धनबाद का बड़ा बाजार हुआ करता था. बदमाशों की करतूत से कारोबरी परेशान रहते थे. कपडे की एक दुकान में ऐसी घटना हुई कि कारोबारी एक प्लेटफॉर्म पर आ गए.
उसके बाद बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का गठन हुआ. गठन में भी एक ऐसे "आजादशत्रु" की भूमिका रही ,जिसका कारोबार से दूर -दूर तक का रिश्ता नहीं था. फिर फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज बना. दरअसल 80 के दशक में बैंक मोड़ के कपड़े की दुकान में रंगदारी की घटना हुई थी. कहा तो यह जाता है कि बिहार के उस समय के एक मंत्री के आदमी सर्किट हाउस से निकलकर दुकान पहुंचे थे. कुछ कपड़े की खरीदारी की थी, लेकिन पैसे को लेकर विवाद हुआ और मारपीट की घटना हो गई. यह सब घटना भुवनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब के सामने हुई.
पेशे से शिक्षक ने खड़ा किया था संगठन
इस घटना ने मास्टर साहब को विचलित कर दिया. पेशे से टीचर होने के बावजूद वह दुकानदारों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया और इसमें सफल भी रहे. जब तक वह जीवित रहे, आजीवन अध्यक्ष रहे. लेकिन उनके निधन के बाद परिस्थितियों में बदलाव आया. गुटबाजी शुरू हुई, वोटिंग से चुनाव होने लगे. फिलहाल तो फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज में 58 चैंबर सदस्य है. मास्टर साहब सरकारी शिक्षक थे, लेकिन बैंक मोड की घटना ने उन्हें व्यवसाईयों के बीच आने का न्योता दिया. व्यवसायी भी उनकी बातों पर सहमत हुए. यह बात अलग है कि भुवनेश्वर प्रसाद सिंह की बातों को काटने का साहस कोई भी कारोबारी नहीं करता था. उनका व्यवहार भी कुछ ऐसा ही था. दूध का दूध और पानी का पानी करने में विलंब नहीं करते थे. उनके निधन के बाद चेंबर के कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए गए. उसके बाद पहली बार हुए चुनाव में फेडरेशन के अध्यक्ष मोती लाल अग्रवाल चुने गए. यह बात भी सच है कि फिलहाल फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्यों की हालत "कानी गाय की अलग बथान" जैसी हो गई है. कारोबारियों में एकता नहीं है.
पुराना बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स दो भागों में बट गया है
पुराना बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स दो भागों में बट गया है. फिलहाल चुनाव की चर्चा तेज है. हो सकता है कि अगस्त महीने में चुनाव हो जाए. फिलहाल चेतन गोयनका फेडरेशन के अध्यक्ष है. चुनाव की चर्चा के बीच दावेदार वोटरों की नब्ज टटोलने में लग गए है. जिला चेंबर में 58 चेम्बर सदस्य है. संगठनों का क्या मिजाज है, यह जानने की कोशिश शुरू कर दी गई है. निवर्तमान होने वाले पदाधिकारी भी चुप नहीं है. यह अलग बात है कि चुनाव तो चुनाव ही होता है, लेकिन चुनाव के ठीक पहले अगर कोई नया समीकरण उभर जाए तो कहा नहीं जा सकता. कई लोग पद पाने के दावेदारों में शामिल है. वैसे धनबाद चेंबर का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है. ऐसे ताकतवर संगठन माना जाता है. संगठन की खासियत है कि सामजिक कार्यो में भी रूचि रखता है. सूत्र बताते है कि 2024 के चुनाव में कई पुराने चेहरे भी किस्मत आजमाने का प्रयास करेंगे. इससे चुनाव रोचक और गहमागहमी वाला हो सकता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो