धनबाद(DHANBAD): भाजपा के ही "ट्रोल आर्मी" के निशाने पर हैं धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा. आखिर क्यों है विधायक राज सिन्हा "ट्रोल आर्मी" के निशाने पर, इसके पीछे जितनी मुंह, उतनी तरह की बातें कहीं जा रही है. कोई सांसद ढुल्लू महतो से बिगड़े रिश्ते का हवाला दे रहा है तो कोई महानगर जिला कमेटी के गठन में गड़बड़ी की बात कर रहा है. दरअसल, मंगलवार को विधायक राज सिन्हा ने जल सत्याग्रह किया था. इस जल सत्याग्रह को भाजपा के ही कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू कर दिया. कोई लिखा है कि 10 साल की अपार सफलता के बाद भी अपने पापों के लिए नाली में डुबकी लगाकर पाप धोना पड़ रहा है. तो किसी ने लिखा है- जैसा कर्म करोगे, वैसा फल मिलेगा.
जल सत्याग्रह के बाद "ट्रोल आर्मी" के निशाने पर विधायक
किसी ने यह भी लिखा है कि धन्य है चुनाव, नाला तक में बैठा देता है. नहीं तो 4 साल तो आराम से कट ही जाता है. एक ने यह भी लिखा है कि जल सत्याग्रह से अच्छा है, जल समाधि ले लिया जाता. एक ने लिखा है कि चलो मान लिया जाए कि यह सत्याग्रह राजनीति का हिस्सा है, तो कोई और भी जनप्रतिनिधि है या कोई अन्य, जो ठीक उसी स्थान पर नाली के पानी में धरना दे सके. जो भी हो लेकिन धनबाद भाजपा की अंदरूनी राजनीति अब पूरी तरह से सड़क पर आ गई है. विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा. दूसरी ओर विधायक राज सिन्हा कहते है कि जनता जानती है कि कौन काम कर रहा है और कौन नहीं. अगर जनता के बीच नहीं रहते, काम नहीं करते, तब कैसे दो-दो बार चुनाव जीतते .
विधायक कहते है -जनता के लिए काम करते थे ,करते रहेंगे
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की टिप्पणी से घबराने वाले नहीं है. जनता के लिए काम करते रहे हैं, और आगे भी करते रहेंगे. इधर, झरिया, बाघमारा और धनबाद में बैठक कर महानगर अध्यक्ष श्रवण राय का विरोध करने के बाद मंगलवार को श्रवण राय का पुतला दहन किया गया. इस पुतला दहन कार्यक्रम में विधायक राज सिन्हा और प्रदेश मंत्री सरोज सिंह को भी निशाने पर लेने की तैयारी थी. लेकिन एन वक्त पर राज सिन्हा के नाम की टोपी उतार दी गई. प्रदेश मंत्री सरोज सिंह के नाम लिखा कुर्ता फाड़ दिया गया. केवल महानगर जिला अध्यक्ष का पुतला फूंका गया. इसको लेकर कार्यकर्ताओं में थोड़ी देर किच किच भी होती रही. सूत्र बताते हैं कि ऊपर के किसी नेता का फोन आने के बाद विधायक और प्रदेश मंत्री के नाम का पुतला हटाया गया. कार्यक्रम में वैसे लोग भी शामिल थे, जिन्हें महानगर का जिला अध्यक्ष बनाने का भरोसा दिया गया है. यह बात सच है कि धनबाद की भाजपा अब बदल गई है.
क्या अनुशासित पार्टी का "टैग" अब पूरी तरह से हट गया है
अनुशासित पार्टी का "टैग" अब उसके माथे से हट गया है. कार्यकर्ता निरंकुश हो गए है. नतीजा है कि झरिया, बाघमारा और धनबाद में सार्वजनिक मंचों से महानगर जिला अध्यक्ष का विरोध किया गया. महानगर अध्यक्ष श्रवण राय का कहना है कि पार्टी में पद सीमित है और सक्षम कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक है. इस वजह से नाराजगी है और सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा. साथ ही यह भी कहते हैं कि अगर कार्यकर्ताओं को कुछ परेशानी है तो इसे प्रदेश के फोरम पर उठाना चाहिए. मीडिया और सोशल मीडिया में बातें रखना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है. संगठन कमजोर होता है. जो भी हो, लेकिन भाजपा की अंदरूनी लड़ाई भाजपा के लिए ही नुकसान देह हो सकती है. अब पद और पावर की जो लड़ाई छिड़ी है, उसका परिणाम क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. लेकिन विरोध के स्वर जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसा लगता है कि प्रदेश अध्यक्ष और संगठन को भी कठघरे में खड़ा किया जा रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो